1978 में 25 से 30 पैसे प्रति वर्ग फुट की दर से बेची गई थी जमीन
इस मामले में तत्कालीन बस्तर महाराजा भरतचंद भंजदेव ने 1985 में निचली अदालत में अपील की। इसके बाद 2016 में जिला एवं सत्र न्यायालय में फैसला उनके पक्ष में नहीं आया। तब महाराजा कमलचंद भंजदेव हाई कोर्ट गए और अब कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है। वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन राव ने बताया कि 1978 में जमीन 25 से 30 पैसे प्रति वर्ग फुट की दर से बेची गई थी। कुल 38 एकड़ की जमीन का विक्रय किया गया था।
यह कहता है हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा कि यह अधिनियम के तहत परिवार की संयुक्त संपत्ति नहीं है। कोर्ट ने राजा की बेची गई निजी संपत्ति के समस्त विक्रय पत्र को निरस्त कर वर्तमान उत्तराधिकारी को यह संपत्ति वापस पाने का हकदार ठहराया है। बस्तर के वर्तमान राजपरिवार उत्तराधिकारी कमल चंद भंजदेव के चाचा हरिहर चंद भंजदेव, देवेश चंद भंजदेव व राजा प्रवीर चंद भंजदेव की पत्नी वेदवती देवी ने राजा की निजी संपत्ति का आपसी समझौता कर बंटवारा कर विभिन्न लोगों को बेच दिया।
हाईकोर्ट के ऑर्डर की कॉपी का इंतजार
बस्तर के महाराजा कमलचंद भंजदेव ने बताया कि, मुझे भी कोर्ट के फैसले की जानकारी मिली है, लेकिन मुझ तक अभी ऑर्डर की कॉपी नहीं आई है। ऑर्डर की कॉपी का हम इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही हम कुछ कह पाएंगे।