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बादलों का नगर- बस्तर का आकाश नगर, आपकी आखें थक जाएंगी लेकिन यहां की खूबसूरत वादियां नहीं, देखिए तस्वीरें

locationजगदलपुरPublished: Sep 17, 2019 04:06:30 pm

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Badal Dewangan

छत्तीसगढ़ का सबसे खूबसूरत हिलस्टेशन कहा जाने वाला बस्तर संभाग के बैलाडीला का आकाश नगर अब आम लोगों के लिए बंद हो चुका है

बादलों का नगर- बस्तर का आकाश नगर, आपकी आखें थक जाएंगी लेकिन यहां की खूबसूरत वादियां नहीं, देखिए तस्वीरें

बादलों का नगर- बस्तर का आकाश नगर, आपकी आखें थक जाएंगी लेकिन यहां की खूबसूरत वादियां नहीं, देखिए तस्वीरें

बादल देवांगन/जगदलपुर. बस्तर पूर्णत: पहाड़ी क्षेत्र है जो कि घने वनों से आच्छादित है। इन गगनचुंभी पहाडिय़ों के कारण यहां का मौसम वर्ष भर सुहाना रहता है। बस्तर की बैलाडिला पहाड़ी श्रृंखला अपने शुद्ध लौह अयस्क के लिये पुरे विश्व में मशहूर है। यहां की लौह खदान पुरे एशिया में सबसे बड़ी लौह खदानों में से एक है। बैलाडिला पर्वत श्रृंखला में नंदीराज की चोटी पुरे बस्तर में पहली एवं छत्तीसगढ़ में दुसरी सबसे उंची चोटी है। इसकी उंचाई लगभग 3000 फिट तक है।
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नंदीराज पर्वत की आकृति बैल के कुबड़ के समान है जिसके कारण इस क्षेत्र को बैलाडिला के नाम से जाना जाता है। 1966 ई में एनएमडीसी ने बचेली और किरन्दुल से लौह अयस्क का खनना प्रारंभ किया था। पहाड़ों पर एनएमडीसी ने कर्मचारियों के रहने के लिये बचेली शहर में पहाड़ के उपर आकाश नगर एवं किरन्दुल में पहाड़ के ऊपर कैलाश नगर बसाये थे। ये बस्तर के पहले हिल स्टेशन थे। इन हिल स्टेशनों का मौसम बेहद ही सुहावना होता है। यहां समय बिताने का एक अलग ही अनुभव होता है।
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बैलाडिला की पुरी पहाडिय़ां घने वनों से ढकी हुई है जिसके कारण यहां साल भर वर्षा होते रहती है। अधिक उंचाई के कारण ये पहाडिय़ां साल में अधिकतर समय बादलों से ढकी रहती है। आकाशनगर में बरसात के समय तो बादल पुरी तरह से छा जाते है। बादलों का जमावड़ा हो जाता है जिसके कारण भरे दिन में भी एक फीट की दुरी का दृश्य भी नजर नही आता है। बादल घरों का दरवाजा खटखटाते है ऐसी अनोखी घटना सिर्फ आकाश नगर में ही होती है। बादलों की दौड़ देखना हो तो आकाश नगर में ही इसका आनंद लिया जा सकता है। चेहरे पर पड़ती हल्की फुहारे तन मन को प्रफुल्लित कर देती है। आकाश नगर को बादलों का नगर कहे तो यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। सचमूच बादलों से बाते और मित्रता सिर्फ आकाश नगर में ही की जा सकती है।
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बचेली से पहाड़ पर स्थित आकाश नगर तक जाने की कुल दुरी 30 किलोमीटर है। 30 किलोमीटर की धुमावदार सर्पीली घाटियों से जाते समय तन का रोम रोम रोमांचित हो जाता है। एक तरफ तो सुहावने मनमोहक दृश्य तो दुसरी तरफ गहरी खाईया ये दोनो के दृश्यों से भय एवं रोमांच का मिश्रित भाव उत्पन्न होता है। तन पर पड़ती पानी की हल्की फुहारे तो खुशी को दुगुनी कर देती है। प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को पुरे देश में विश्वकर्मा जयंती बड़े धुमधाम से मनाई जाती है। बैलाडिला के इन औद्योगिक नगरों में भी विश्वकर्मा जयंती के दिन विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन लौह अयस्क खनन कार्य पूर्णत: बंद रहता है। नक्सली घटनाओं के कारण आकाश नगर पूर्णत: खाली कर दिया गया है एवं आम लोगों की आवाजाही बंद है।
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17 सितंबर को ही मात्र एक दिन के लिये आकाश नगर सैलानियों के लिये खोल दिया जाता है जिसमें अपनी चारपहिया वाहनों से पर्यटक वहां जा पाते है। एनएमडीसी प्रबंधन के द्वारा भी पर्यटकों के आने जाने के लिये बस की व्यवस्था रहती है। खदान क्षेत्र में लगी भीमकाय वाहनों को देखने का अवसर इस दिन प्राप्त हो पाता है। इन दानवाकार वाहनों का आकार किसी तीन मंजिला भवन से कम नहीं होता है। इनके पहियें की उंचाई मात्र ही 10 फिट तक होती है।
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भक्तिमय वातावरण में सर्पिलाकार घाटियों में बादलो के साथ सफर करने का अनुभव काफी रोमांचकारी होता है। ऐसा अनुभव लेना है तो 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के उपलक्ष्य मे आकाशनगर जरूर आये। रायपुर से बचेली की कुल दुरी 450 किलोमीटर है। रायपुर से बैलाडिला की सीधी बसें उपलब्ध है।
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