जगदलपुर

छत्तीसगढ़ में पहली बार तैयार की जा रही इस खास फल की हाइब्रिड नस्ल, ये होगी खासियत,

Shaheed Gundadhur Agricultural College and Research Center, Kumharwand ने काजू के पहले फेस की नर्सरी तैयार की है।

जगदलपुरMay 11, 2020 / 11:28 am

Badal Dewangan

छत्तीसगढ़ में पहली बार तैयार की जा रही इस खास फल की हाइब्रिड नस्ल, ये होगी खासियत,

जगदलपुर। राज्य में पहली बार किसी फल वाले पौधे का हाइब्रिड नस्ल तैयार किया जा रहा है। इससे पहले अनाज वाली फसलों पर ही प्रयोग किए गए हैं। इस मर्तबे कुम्हरावंड स्थित शहीद गुंडाधुर कृषि महाविद्यालय व अनुसंधान केंद्र ने यह प्रयोग शुरु किया है। एक कदम आगे आते हुए यहां कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी नर्सरी तैयार कर ली है। अगर यह हाइब्रिड नस्ल सफल रहेगी तो आने वाले तीन साल के भीतर इससे उपज आने लगेंगे व आठ- १० साल बाद इसके पौधे कृषकों को बांटने की सुविधा भी मिलेगी।

यह होगी खासियत
काजू की नई किस्म के फल आकार में बड़े तो होंगे ही इसका वजन भी 15 ग्राम के लगभग होगा। यह फल गुच्छे में फलेंगे इससे एक पौधे में ज्यादा पैदावार आएगी। इतना ही नहीं पौधे का आकार भी कम ऊंचाई वाला होने से हाथ बढ़ाकर ही फल तोड़ सकेंगे। अभी तक की वेरायटियों में कीट का प्रकोप होता था। इस वेरायटी को कीट प्रकोप से बचाने की गुणवत्ता के साथ तैयार किया जा रहा है।

काजू बहुतायत से पर प्रसंस्करण नहीं
बस्तर में नौ हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर काजू के पौधे रोपे गए हैं। यह पौधे वन विभाग, जिला पंचायत, उद्यानिकी, कृषि विभाग व मनरेगा के तहत रोपे गए हैं। हालांकि इनमें से अधिकतर इलाके में भू संरक्षण व हरियाली प्रसार योजना के तहत पौधे लगाए गए हैं। उद्यानिकी व कृषि विभाग ने ग्रामीण महिला समूहों को रोजगार देने के लिए पौधे वितरित किए हैं। बस्तर में फिलहाल १५ हजार क्विंटल से अधिक काजू की पैदावार होती है। यहां पर से सारा काजू सीमावर्ती ओडिशा भेजा जाता है। वहां इसका प्रसंस्करण व वैल्यू एडिशन होता है। प्रसंस्करित काजू १२ सौ सेे १५ सौ रुपए प्रतिकिलो तक बेचा जा रहा है।

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