जगदलपुर

मक्के की खेती कर रहे हैं तो हो जाएं सतर्क, फसल पर मंडरा रहा इस कीट का खतरा

पिछले साल इसी सीजन में सैकड़ों एकड़ में लगी फसल को फॉल आर्मी वर्म ने कर दिया था चट

जगदलपुरFeb 26, 2020 / 12:03 pm

Akash Mishra

मक्के की खेती कर रहे हैं तो हो जाएं सतर्क, फसल पर मंडरा रहा इस कीट का खतरा

जगदलपुर। मक्के की फसल पर एक बार फिर फॉल आर्मी वर्म का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि इस साल कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक इसे लेकर सतर्क हैं। वैज्ञानिकों ने पूरे साल इस कीट को लेकर किसानों को जागरूक किया है। इसी सीजन में पिछले साल फॉल आर्मी वर्म छत्तीसगढ़ में पहली बार बस्तर में रिपोर्ट किया गया था। उस वक्त इससे बचाव को लेकर कोई ठोस उपाय नहीं किया गया था, लेकिन इस बार विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के निदेशक डॉ. एससी मुखर्जी ने कृषि विज्ञान केंद्र बस्तर प्रक्षेत्र का भ्रमण किया और केंद्र की गतिविधियों से अवगत होते हु़ए सभी अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा की। बैठक के दौरान डॉ. मुखर्जी ने फॉल आर्मी वर्म कीट की वर्तमान स्थिति के बारे में चर्चा की एवं युद्ध स्तर पर इस कीट के संक्रमण के प्रबंधन करने के लिए निर्देशित किया। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके नाग ने बताया कि केंद्र द्वारा कीट संबंधी जागरूकता एवं प्रबंधन पर निरंतर कार्य किया जा रहा है। इससे कृषकों तक कीट के प्रति काफी जागरूकता पहुंची है।

कीट का किसान कर रहे सफल प्रबंधन
बस्तर में कीट को पहली बार रिपोर्ट करने वाले वैज्ञानिक धर्मपाल केरकेट्टा बताते हैं कि अभी कई कृषक कीट का सफल प्रबंधन कर पा रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी कृषकों को इस कीट के प्रति हमेशा सजग रहने की आवश्यकता है। वे आगे बताते हैं कीट चार अवस्थाओं से होकर अपना जीवन चक्र पूरा करता है। अभी के मौसम में कीट बहुत जल्दी यानी मात्र 35.40 दिनों मे अपना जीवन पूरा कर लेता है जिससे इसकी संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हो सकती है। अत: जिन कृषकों ने मक्के की बुवाई देरी से की है उन्हे अधिक सजग रहने की आवश्यकता है।

कीट से बचाव के लिए अपनाएं ये तरीके
कीट वैज्ञानिक धर्मपाल केरकेट्टा बताते हैं कीट का प्रभावी नियंत्रण एक से अधिक विधियों को अपनाकर किया जा सकता है। आवश्यक है कि इसमें फेरोमोन ट्रेप एवं लाइट ट्रेप का उपयोग हो। साथ ही कीटनाशक जैसे प्रोफेनोफॉसइपरमेथ्रिन या क्वीनालफास या बैराज़ाइड का प्रयोग करना सबसे प्रभावी एवं कारगर है। फसलों में कीट का प्रकोप 2.3 पत्तियों के अवस्था में अर्थात फसल बुवाई के 12 से 15 दिन के भीतर ही शुरू हो जाता है। अत: सतत निगरानी की आवश्यकता है। इस समय पत्ती पर सफेद चित्तीदार धब्बे दिखाई देते हैं जो कीट की उपस्थिती का संकेत हैं।

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