scriptबस्तर के नक्सलगढ़ में तीन सालो में 40 हज़ार से अधिक बच्चो ने स्कूल छोड़ा | In Bastar's, more than 40 thousand children left school in 3 years | Patrika News

बस्तर के नक्सलगढ़ में तीन सालो में 40 हज़ार से अधिक बच्चो ने स्कूल छोड़ा

locationजगदलपुरPublished: Aug 13, 2022 10:44:55 am

सरकार ने शिक्षा के विकास के लिए राइट टू एजुकेशन एक्ट (आरटीई) लागू किया है। बावजूद इसके देश के स्कूलों में ड्रॉप आउट बच्चों की बढ़ती संख्या परेशानी का सबब बनी हुई है। छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नही है। केंद्र सरकार के जारी आंकड़े बताते है कि वर्ष 2020-21 में राज्य में माध्यमिक ड्रॉप आउट बच्चों का औसत 13.4 फीसदी है जो कि वर्ष 2019-20 में 18.3 था। शिक्षा विभाग की रिपोर्ट बताती है कि नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में तीन वर्षों के दौरान शाला त्यागी बच्चों की संख्या 40 हजार 847 रिकार्ड की गई है।

नक्सल प्रभावित इलाके बच्चे ज्यादा छोड़ रहे पढ़ाई

सुलभ और सुगम शिक्षा के प्रयास हो रहे फेल

मनीष गुप्ता

जगदलपुर. आदिवासी इलाकों में ड्रॉप आउट बच्चो की स्थिति और भी खराब है शिक्षा विभाग की रिपोर्ट बताती है कि नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में तीन वर्षों के दौरान शाला त्यागी बच्चों की संख्या 40 हजार 847 रिकार्ड की गई है। हालांकि शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक आरएस चौहान का कहना है कि कोरोना काल में स्कूल बंद होने के कारण आंकड़ा बढ़ा हुआ दिख रहा है पर अब धीरे धीरे बच्चे स्कूल वापस आ रहे हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति बच्चो में यह प्रतिशत और भी अधिक है। यूडीआईएसई की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 के दौरान ड्रॉप आउट बच्चों का अजा वर्ग में औसत 15.3 फीसदी और अजजा वर्ग में 20.9 फीसदी है। इस सरकारी रिपोर्ट ने सुरक्षा बलों की चिंता और भी बढ़ा दी है क्योकि ख़ुफ़िया विभाग की रिपोर्ट बता रही है कि बस्तर में नक्सली लगातार मजबूत हो रहे है अंदरूनी इलाको में नक्सलियों द्वारा बड़ी संख्या में नए कैडरों की भर्ती की जानकारी मिल रही है |
सबसे अधिक सुकमा और सबसे कम कोंडागांव जिले में

विभागीय आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 से 21 के मध्य तीन वर्षों के दौरान सुकमा जिले में सर्वाधिक 10726 बच्चे ड्रॉप आउट हुए हंै तथा कोण्डागांव जिले में सबसे कम 522 बच्चे ड्रॉप आउट के रूप में दर्ज हुए हैं। इसके अलावा जगदलपुर में 1996, दंतेवाड़ा में 4277,बीजापुर में 2568,कांकेर में 5971 तथा नारायणपुर जिले में यह संख्या 2185 दर्ज की गई है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के बंच्चो में ड्रॉप आउट की संख्या कम है लेकिन हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल के विद्यार्थियों में यह संख्या अधिक देखी जा रही है ।
महंगी व गुणवत्ताहीन शिक्षा बड़ा कारण
केंद्र व राज्य सरकार शिक्षा के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हंै पर जिस अनुपात में आबादी बढ़ रही है उस अनुपात में सरकारी संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर कार्य कर रही एजेंसी एसडीएस द्वारा किए गए एक सर्वे में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। मसलन देश मे लगातार मंहगी हो रही शिक्षा का सबसे अधिक प्रभाव मध्यम तथा कमजोर आय वर्ग लोगो पर पड़ रहा है। कई परिवार अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी वहन नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण इस वर्ग के कई बच्चे अपनी स्कूली शिक्षा को बीच में छोडक़र रोजी रोटी कमाने की जुगत में जुट जाते हैं और एकबार जब पढ़ाई छूट जाती है अधिकांश बच्चे दोबारा स्कूल की ओर मुडक़र भी नहीं देखते।
लड़कियों का ड्रॉप आउट रेट लडक़ों से कम

यूडीआईएसई (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफोर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) की रिपोर्ट बताती है कि सेकेंडरी लेवल पर हाईएस्ट प्रमोशन दर वाले जिनमें पंजाब, मणिपुर और केरल शामिल हैं, यहां शिक्षा का प्रमोशन रेट 90 प्रतिशत से अधिक है। लड़कियों की कुल स्कूल छोडऩे की दर लडक़ों की तुलना में 2 प्रतिशत कम है। पंजाब ने लड़कियों के लिए ड्रॉपआउट दर शून्य दर्ज की है जबकि असम ने माध्यमिक स्तर पर उच्चतम ड्रॉपआउट दर 35.2 दर्ज की है। अन्य पूर्वोत्तर के राज्यों मेघालय,अरुणाचल,नागालैंड सहित 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ड्रॉप आउट का आंकड़ा काफी हाई है।
सुरक्षा एजेंसियों में भी चिंता
बस्तर के ग्रामीण अंचल में शिक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार काफी प्रयास कर रही है अंदरूनी इलाको में पोटाकेबिन, आश्रम,हॉस्टल, कस्तूरबा आश्रम,केंद्रीय विद्यालय,नवोदय,आत्मानंद सहित सैकड़ों की संख्या में सरकारी व निजी विद्यालय है इसके बावजूद ड्रॉप आउट बंच्चो की बढ़ती संख्या प्रशासन के साथ साथ सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय है एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि एजेंसियों को इस बात के प्रमाण मिले है कि पूर्व में नक्सली ड्रॉप आउट कई बंच्चो को गुमराहकर उन्हें अपने साथ संगठन में जोड़ने में सफल रहे है इसलिए इस इलाके में शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान देने जरूरत है ताकि यह भोलेभाले बच्चे नक्सली साजिश का शिकार न बन पाएं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो