केंद्र व राज्य सरकार शिक्षा के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हंै पर जिस अनुपात में आबादी बढ़ रही है उस अनुपात में सरकारी संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर कार्य कर रही एजेंसी एसडीएस द्वारा किए गए एक सर्वे में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। मसलन देश मे लगातार मंहगी हो रही शिक्षा का सबसे अधिक प्रभाव मध्यम तथा कमजोर आय वर्ग लोगो पर पड़ रहा है। कई परिवार अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी वहन नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण इस वर्ग के कई बच्चे अपनी स्कूली शिक्षा को बीच में छोडक़र रोजी रोटी कमाने की जुगत में जुट जाते हैं और एकबार जब पढ़ाई छूट जाती है अधिकांश बच्चे दोबारा स्कूल की ओर मुडक़र भी नहीं देखते।
बस्तर के ग्रामीण अंचल में शिक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार काफी प्रयास कर रही है अंदरूनी इलाको में पोटाकेबिन, आश्रम,हॉस्टल, कस्तूरबा आश्रम,केंद्रीय विद्यालय,नवोदय,आत्मानंद सहित सैकड़ों की संख्या में सरकारी व निजी विद्यालय है इसके बावजूद ड्रॉप आउट बंच्चो की बढ़ती संख्या प्रशासन के साथ साथ सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय है एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि एजेंसियों को इस बात के प्रमाण मिले है कि पूर्व में नक्सली ड्रॉप आउट कई बंच्चो को गुमराहकर उन्हें अपने साथ संगठन में जोड़ने में सफल रहे है इसलिए इस इलाके में शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान देने जरूरत है ताकि यह भोलेभाले बच्चे नक्सली साजिश का शिकार न बन पाएं।