किसान को जेल होने से मामले का हुआ खुलासा
हफ्तेभर पहले चेक बांउस होने के मामले में किसान तुलाराम मौर्य और सुखदास को न्यायालय ने जेल की सजा सुनाई थी। पुलिस गिरफ्तारी के बाद पता चला कि इन किसानों के नाम से जो लोन लिया गया था इसकी जानकारी इन्हें नहीं थी। इनके नाम पर बिचौलियों ने ड्रिप इरीगेशन के नाम पर लोन निकलवाया और इन्हें कर्जदार बना दिया। इस खबर को पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया जिसके बाद सरकार के आदेश के बाद जांच टीम बनाई गई। एसडीएम के नेतृत्व में बनी टीम की जांच में यह खुलासा हुआ और सात और इस मामले में आरोपी बनाए गए।
४.३५ एकड़ में लगना था, सिर्फ १.३५ एकड़ में ही किया काम
एसडीएम और पुलिस विभाग ने जांच में पाया कि जैन इरिगेशन लिमिटेड के एजेंट बलराम चावड़ा और रघु सेठिया ने तुलाराम के खेत में ४.३५ एकड़ में ड्रिप सिस्टम लगाने की जगह इसे सिर्फ १.३५ एकड़ में ही लगाया। इसके बाद बारी आई फील्ड ऑफीसर की उसने बिना भौतिक सत्यापन कराए ही मैनजर की संाठगांठ से लोन स्वीकृत करा लिया। लोन की रकम खाते में आने के बाद इन एजेंट बलराम और रघु नेे पहले एक लाख और २०१० में सब्सिडी की राशि जमा कराने की बात कहकर ५० हजार रुपए यानी की डेढ़ लाख रुपए निकाल लिए। इस दौरान बलराम ने चेक बुक भी अपने पास ही रख लिया था।