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किसानों से धोखाधड़ी करने वाले दो और बिचौलिए आए पुलिस के गिरफ्त में, जानिए क्या है पूरा मामला

locationजगदलपुरPublished: May 20, 2019 03:08:24 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

‘पत्रिका’ के खुलासे के बाद ठगी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज, विभागीग अफसर, बैंक मैनेजर व कर्मचारी की सांठ-गांठ से किसान बना था कर्जदार

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किसानों से धोखाधड़ी करने वाले दो और बिचौलिए आए पुलिस के गिरफ्त में, जानिए क्या है पूरा मामला

जगदलपुर. लोन फर्जीवाड़े में बस्तर पुलिस ने उधानिकी विभाग के दो और अधिकारियों को आज गिरफ्तार करने मे सफलता पाई है पहले दो लोगों के सहित अबतक चार लोगों को गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि ३ लोग अभी भी फरार है। किसानों के साथ धोखाधड़ी मामले में शनिवार को कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी उसके बाद लगातार पुलिस आरोपियों तक पहुंच कर उन्हें गिरफ्तार कर रही है। सोमवार को ग्राम बस्तर के उद्यानिकी विभाग के कार्यालय से ग्रामीण विस्तार विकास अधिकारी उपेंद्र चौधरी और अधीक्षक आर.के मिश्रा को बस्तर चौकी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अबतक जिनमे से 4 की गिरफ्तारी हो गई है। शनिवार को दलाल बलराम चावड़ा और मुंशी रघु सेठिया की गिरफ्तारी हुई थी।मामले में एडीबी शाखा एसबीआई ब्रांच धरमपुरा के प्रबंधक चंद्रशेखर राव फील्ड अफसर इम्तियाज खान और केशियर प्रकाश जोशी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है बस्तर पुलिस तीनों आरोपियों की तलाश कर रही है।

किसान को जेल होने से मामले का हुआ खुलासा
हफ्तेभर पहले चेक बांउस होने के मामले में किसान तुलाराम मौर्य और सुखदास को न्यायालय ने जेल की सजा सुनाई थी। पुलिस गिरफ्तारी के बाद पता चला कि इन किसानों के नाम से जो लोन लिया गया था इसकी जानकारी इन्हें नहीं थी। इनके नाम पर बिचौलियों ने ड्रिप इरीगेशन के नाम पर लोन निकलवाया और इन्हें कर्जदार बना दिया। इस खबर को पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया जिसके बाद सरकार के आदेश के बाद जांच टीम बनाई गई। एसडीएम के नेतृत्व में बनी टीम की जांच में यह खुलासा हुआ और सात और इस मामले में आरोपी बनाए गए।

४.३५ एकड़ में लगना था, सिर्फ १.३५ एकड़ में ही किया काम
एसडीएम और पुलिस विभाग ने जांच में पाया कि जैन इरिगेशन लिमिटेड के एजेंट बलराम चावड़ा और रघु सेठिया ने तुलाराम के खेत में ४.३५ एकड़ में ड्रिप सिस्टम लगाने की जगह इसे सिर्फ १.३५ एकड़ में ही लगाया। इसके बाद बारी आई फील्ड ऑफीसर की उसने बिना भौतिक सत्यापन कराए ही मैनजर की संाठगांठ से लोन स्वीकृत करा लिया। लोन की रकम खाते में आने के बाद इन एजेंट बलराम और रघु नेे पहले एक लाख और २०१० में सब्सिडी की राशि जमा कराने की बात कहकर ५० हजार रुपए यानी की डेढ़ लाख रुपए निकाल लिए। इस दौरान बलराम ने चेक बुक भी अपने पास ही रख लिया था।

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