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लोहांडीगुड़ा के टाटा प्रभावित किसानों के चेहरे में कुछ इस तरह दौड़ी खुशी की लहर

locationजगदलपुरPublished: Dec 25, 2018 03:01:44 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

सुबह सीएम से बैज ने की चर्चा, दोपहर में प्रभावितों की जमीन वापसी की घोषणा

जगदलपुर . सीएम बनने के बाद से भूपेश बघेल एक्शन मोड में हैं। सीएम बनने के एक के बाद एक ताबड़तोड़ निर्णल ले रहे भूपेश बघेल ने सोमवार को एक और बड़ी घोषणा की। उन्होंने बस्तर के लोहांडीगुड़ा के टाटा प्रभावित किसानों की जमीने वापस करने की घोषणा की। लेकिन इस निर्णय के पीछे की कहानी और भी रोचक है।
चित्रकोट विधायक दीपक बैज की माने तो वे सोमवार की सुबह सीएम भूपेश बघेल से मिलने गए हुए थे। यहां उन्होंने चाय में चर्चा के दौरान सीएम से टाटा प्रभावितों को लेकर भी लंबी चर्चा की और वे लौट आए। इसके बाद बमुश्किल तीन घंटे का समय बीता होगा और सीएम ने घोषणा कर दी की टाटा प्रभावितों की जमीन कांग्रेस सरकार वापस करेगी। यह खबर जैसे ही चित्रकोट विधायक को लगी उन्होंने सीएम को फोन कर इसके लिए आभार जाताया।

गौरतलब है कि सीएम भूपेश ने सीएम पद की शपथ लेने के बाद तेजी से फैसले लिए है। चाहे वह किसानों के कर्ज माफी की बात हो या फिर झीरम मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित करने का। उन्होंने अपने घोषणा पत्र में
लिखे सभी मुद्दों पर तेजी से काम करते हुए निर्णय लिया है। सोमवार की सुबह स्थानीय विधायक दीपक बैज से चाय में चर्चा के दौरान जब इस मामले में तफ्सील से बात हुई, इसके बाद उन्होंने झट से इस पर निर्णय लेते हुए किसानों की जमीने वापस करने का आदेश जारी किया। इस निर्णय के बाद से इलाके के सभी प्रभावित लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है, और उनके चेहरे खिल गए हैं।
कुछ ऐसा रहा टाटा का बस्तर में सफर
टाटा स्टील लिमिटेड ने छत्तीसगढ़ शासन के उपक्रम सीएसआईडीसी (छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन) साथ बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा क्षेत्र में जून 2005 में लगभग बीस हजार करोड़ रुपये की लागत से साढ़े पचास लाख टन सालाना उत्पादन क्षमता का इस्पात संयंत्र लगाने के लिए एमओयू किया था। राज्य शासन ने लोहंडीगुड़ा क्षेत्र के दस गांवों की सरकारी, निजी और वन भूमि को मिलाकर 2043.450 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित करने ग्राम सभाएं आयोजित भी की थी। इसमें सिर्फ 1707 किसानों की 1764.610 हेक्टेयर निजी जमीन भी शामिल है। प्रभावित किसानों में 1165 किसान मुआवजा प्राप्त कर जमीन देने को राजी हुए, लेकिन जमीन पर कब्जा नहीं छोड़ा। वहीं 542 किसानों ने जमीन देने से साफ इनकार करते हुए मुआवजा राशि लेने से स्पष्ट मना कर दिया। किसानों के लगातार विरोध के कारण शासन मुआवजा बांटने के बाद भी जमीन का अधिग्रहण कर टाटा स्टील को उपलब्ध कराने में नाकाम रहा। शासन ने साल 2016 फरवरी में टाटा स्टील को बैलाडीला क्षेत्र में आवंटित लौह अयस्क की खान के लिए जारी प्रास्पेक्टिंग लाइसेंस भी निरस्त कर दिया था, तभी टाटा की बस्तर से विदाई तय हो गई थी और अंत में टाटा ने बस्तर को टाटा ही कह दिया।

शासन के सामने अब समस्या यह है कि
1165 किसान जो जमीन देने को राजी हुए थे। उन्हें 42 करोड़ 7 लाख 44 हजार 561 रुपये का मुआवजा बांटा जा चुका है। लेकिन योजना विफल हो गई, इसलिए किसान लंबे समय से जमीन वापसी की मांग कर रहे हैं। विधायक बैज ने भी उनकी मांगों को जायज ठहराते हुए सदन में मुद्दा उठाया था, व समय समय पर जमीन वापसी के लिए आंदोलन भी किए थे। इसके साथ ही लगातार कांग्रेस कहती आई है, कि जैसे ही उसकी सरकार बनेगी किसानों को उनकी जमीन वापस की जाएगी। वहीं यहां के 542 किसानों ने जमीन देने से साफ इनकार कर देने के बाद लोहंडीगुड़ा क्षेत्र में इस्पात संयंत्र लगाने की योजना विफ ल हो गई थी।
टाटा ने वापस मांगा था 72 करोड़
टाटा ने बस्तर में अपने प्लांट लगाने को लेकर लंबे समय तक प्रयास किया। इसके लिए स्थानीय लेवल से लेकर किसानों को मुआवजा बांटने तक की राशि शासन को दी थी। लेकिन टाटा जब वापस हुई तो उसने जमीन खरीदने के लिए राज्य शासन को दी गई प्रीमियम एडवांस राशि 72 करोड़ 9 लाख रुपये वापस मांगे थे। अब कांग्रेस की सरकार द्वारा इस दिशा में क्या फैसला लिया जाता है इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा।
प्रभावित किसानों के बीच खुशी का माहौल
चित्रकोट विधायक दीपक बैज ने बताया कि, सीएम भूपेश बघेल से सुबह चाय पर लोहांडीगुड़ा के टाटा प्रभावितों को लेकर चर्चा हुई थी। इसके बाद त्वरित इस पर निर्णय आना काफी खुशी की बात है। सरकार बनने के छह दिन के अंदर इस फैसले से साफ हो गया कि पिछली सरकार की नियत साफ नहीं थी। इसलिए 15 सालों में उन्होंने इस दिशा में कोई फैसला नहीं लिया। इस फैसले के बाद प्रभावित किसानों के बीच खुशी का माहौल है, और लगातार निर्णय से साफ हो गया कांग्रेस किसानों की पार्टी है।

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