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इंद्रावती के लिए किए गए संघर्ष को बीत गए एक साल, प्राधिकरण का काम अटका लॉकडाउन में, और….

locationजगदलपुरPublished: May 14, 2020 10:05:05 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

पिछले साल 8 मई से 21 मई तक बस्तर के लोगों ने इंद्रावती बचाने निकाली थी पदयात्रा, – 2020-21 के बजट में इंद्रावती विकास प्राधिकरण के लिए 90 लाख रुपए का प्रावधान

इंद्रावती के लिए किए गए संघर्ष को बीत गए एक साल, प्राधिकरण का काम अटका लॉकडाउन में, और....

इंद्रावती के लिए किए गए संघर्ष को बीत गए एक साल, प्राधिकरण का काम अटका लॉकडाउन में, और….

जगदलपुर। बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती बचाने के लिए पिछले साल मई महीने में ही ८ मई से २१ मई के बीच बस्तर की पर्यावरण प्रेमी जनता ने पदयात्रा निकाली थी। इस दौरान मांग की गई थी कि इंद्रावती के विकास और संवर्धन के लिए राज्य सरकार कोई ठोस पहल करे। पिछले साल मई महीने की ३० तारीख को ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जगदलपुर में बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक में घोषणा कर दी कि इंद्रावती विकास प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। बस्तरवासियों की सालों पुरानी मांग पूर हुई। हालांकि इसके लिए तत्काल काम शुरू नहीं हुआ।

लॉकडाउन के बाद शुरू होगा काम
भूपेश बघेल ने घोषणा के १० महीने बाद ३ मार्च २०२० को विधानसभा में बजट भाषण पढ़ते हुए इंद्रावती के लिए ९० लाख रुपए के बजट का प्रावधान किया। इस प्रावधान को वित्त विभाग से मंजूरी भी मिल गई लेकिन काम शुरू हो पाता इससे पहले लॉकडाउन शुरू हो गया। अब विभागीय अफसर कहते हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही प्राधिकरण के गठन और बाकी चीजों को लेकर काम शुरू हो पाएगा।

बस्तर विकास प्राधिकरण जैसा होगा इंद्रावती प्राधिकरण
बस्तर विकास प्राधिकरण की तर्ज पर इंद्रावती विकास प्राधिकरण का गठन होगा। बजट में मंजूर सेटअप के अनुसार एक अध्यक्ष एवं दो उपाध्यक्ष होंगे। अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री और उपाध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के अलावा एक अधीक्षण अभियंता, तीन सहायक अभियंता, दो ड्राफ्टमेन, एक-एक सहायक ग्रेड.1 और शीघ्रलेखक वर्ग.3, सहायक ग्रेड.3 के चार पद, स्टेनो टायपिस्ट एक, डाटा एंट्री आपरेटर दो और वाहन चालक के तीन पदों की स्वीकृति प्रदान की गई है।

प्राधिकरण को ओडिशा से बातचीत की पहल भी करनी होगी
इंद्रावती विकास प्राधिकरण कब अस्तित्व में आएगा फिलहाल यह कह पाना मुश्किल है लेकिन इंद्रावती बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि इंद्रावती विकास प्राधिकरण को सबसे पहले इंद्रावती की मूल समस्या का हल निकालना होगा। इसके तहत ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच जल बंटवारे को लेकर बातचीत का माहौल बनाना होगा , क्योंकि खातीगुड़ा को लेकर अब तक ओडिशा से कोई बात नहीं हुई है।

सालभर में इंद्रावती का संघर्ष

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