151 केन्द्रों में धान जाम, संचालकों ने तालाबंदी की मांगी अनुमति
धान खरीदी शुरू हुए 26 दिन बीत गए। वहीं मिलर्स द्वारा धान का उठाव शुरू
भी कर दिया गया है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में परिवहन नहीं होने से संभाग
के 151 उपार्जन केन्द्रों में लाखों क्विंटल धान जाम है।
जगदलपुर. धान खरीदी शुरू हुए 26 दिन बीत गए। वहीं मिलर्स द्वारा धान का उठाव शुरू भी कर दिया गया है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में परिवहन नहीं होने से संभाग के 151 उपार्जन केन्द्रों में लाखों क्विंटल धान जाम है।
इसके चलते केन्द्रों में अब धान रखने की जगह नहीं बची है। इसका सबसे अधिक असर कांकेर, कोण्डागांव और बस्तर जिले में है। एेसे में परेशान संचालकों ने जिला सहकारी केन्द्रीय मर्यादित बैंक से धान खरीदी बंद करते हुए तालाबंदी करने की मांग की है।
गौरतलब है कि इस साल संभाग भर में धान की अच्छी आवक हो रही है। लेकिन यह आवक उपार्जन केन्द्र संचालकों के लिए इन दिनों सरदर्द बन चुकी है। कारण है यह कि मिलर्स के हड़ताल पर चले जाने से धान का उठाव नही किया जा सका, जिससे केन्द्र में धान रखने के लिए जगह नहीं बची है। एेसे में वे किसान जो धान बेचने केन्द्र में पहुंच रहे हैं उन्हें लौटाया जा रहा है।
कई जगह इस बात को लेकर संचालक और किसानों के बीच विवाद की स्थिति भी उत्पन्न होने की बात सामने आ रही है। किसानों को कोई लाभ भी नहीं मिल रहा है और अलग से मालभाड़ा भी देना पड़ रहा है। एेसी परिस्थति में संभाग भर के कुल 257 उपार्जन केन्द्रों में से 141 केन्द्र के संचालकों ने तालाबंदी करने का फैसला कर लिया है और केन्द्र बंद करने जिला सहाकारी केन्द्रीय मर्यादित बैंक संचालक और विपणनी अधिकारी को पत्र प्रेषित किया है।
आला अधिकारी को दी जानकारी : बफर लिमिट की समस्या को लेकर राजधानी में शुक्रवार को सभी जिला सहकारी बैंक के अधिकारियो की बैठक आहुत की गई थी। इस बैठक में शामिल होने गए जिला विपणन अधिकारी आरबी सिंह ने बताया कि उन्होंने बस्तर संभाग के साठ फीसदी केन्द्रों में बफर लिमिट पार किए जाने की बात आला अधिकारियों के सामने रखते हुए सुझाव मांगा है। ताकि जल्द से जल्द इसका समाधान किया जा सके। उन्होंने बताया कि सभी डीएमओ को पत्र के माध्यम से मिलर्स द्वारा उपार्जन केन्द्रों से धान उठाव को सुनिश्चित करने कहा गया है। ताकि मिलर्स जल्द से जल्द धान को संग्रहण केन्द्र में शिफ्ट करें।
यह है बफर लिमिट
धान खरीदी केन्द्रों में धान को सुरक्षित रखने की सीमा तय है। इससे अधिक धान केन्द्र में रखने की व्यवस्था नहीं होती है। यदि इसके बाद भी धान को केन्द्र में रखा जाता है। इसे बफर लिमिट कहा जाता है। यदि इस लिमिट से अधिक धान केन्द्र में रखा जाता है। तो यह बफर लिमिट से ऊपर चला जाता है। इसका मतलब होता है कि धान केन्द्र में असुरक्षित होता है। यदि दो दिनों तक केन्द्र में एेसी ही परिस्थिति रही तो संचालकों को भी नुकसान उठाना पड़ता है। क्योंकि धान सूखने लगता है और उसका वजन कम होने लगता है।
जिला-बस्तर- केन्द -59 -बफरलिमिट से अधिक -8
जिला-बीजापुर-केन्द -14-बफर लिमिट से अधिक-1
जिला- दंतेवाड़ार-केन्द -11-बफर लिमिट से अधिक-0
जिला- कांकेर-केन्द -111-बफर लिमिट से अधिक-110
जिला- कोण्डागांव-केन्द -43-बफर लिमिट से अधिक-28
जिला- नारायणपुर-केन्द -7-बफर लिमिट से अधिक-4
जिला-सुकमा -केन्द -12-बफर लिमिट से अधिक-0
कुल-257-151