एक साल में गांव वालों ने धीरे-धीरे इतनी खुदाई कर दी कि नीचले हिस्से में पांच फीट गहरी सुरंग बन गई और नीचे दबाव बढऩे की वजह से शुक्रवार को यह खदान ही धसक गई और इस दौरान यहां से छुई निकालने पहुंचे आठ लोग इसके नीचे दब गए। इनमें से 6 की मौत हो गई। हादसे में बचे तीन घायलों का उपचार डिमरापाल स्थित मेकाज में जारी है।
दो घंटे में पूरा हुआ रेस्क्यू
शुक्रवार की दोपहर करीब साढ़े 12 बजे यह खदान धसक गई थी। इस घटना की जानकारी के तुरंत बाद ही एसडीआरएफ की टीम मौके के लिए रवाना हुई। 1 बजे के करीब यह टीम मौके पर पहुंची। कुछ ही देर में जेबीबी भी पहुंच गई। इसके बाद रेस्क्यू का काम टीम ने शुरू कर दिया। इस बीच पुलिस की टीम परिजनों को ढाढस बंधाने और व्यवस्था संभालने में लगी हुई थी। क्योंकि ज्यादा उंचाई नहीं थी इसलिए आधे घंटे के अंदर ही एसडीआरएफ की टीम को मलबे में फंसे लोग मिलने शुरू हो गए। लेकिन बुरी बात यह रही कि शुरूआत में अधिकतर ग्रामीण मृत अवस्था में मिले। दो घंटे की मशक्कत के बाद सभी 8 लोगों को टीम ने बाहर निकाल लिया था।
इस छुई मिट्टी का सबसे प्रमुख कार्य घरों की पुताई करने के लिए लोग करते हैं। शुक्रवार को भी यह सभी लोग इस मिट्टी को इसलिए ही लेने गए थे। इसी दौरान एक तेज आवाज के साथ कुछ गिरने की आवाज आई। देखते ही देखते खदान का एक हिस्सा उनके उपर गिर गया था। जिसके बाद तुरंत ही गांव में इसकी जानकारी दी गई। इसके बाद पुलिस और अन्य लोगों को बताया गया। इस बीच सभी खदान की ओर भागे और मिट्टी हटाने लगे। यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक एसडीआरएफ की टीम नहीं पहुंच गई और मलबे में दबे लोगों को बाहर नहीं निकाल लिया।
मिनट टू मिनट घटनाक्रम
साढ़े 12 बजे घटना घटी
12.35 को पुलिस को जानकारी दी गई।
1.00 बजे तक एसडीआरएफ और पुलिस की टीम पहुंची।
1.05 को रेस्क्यू जेसीबी के साथ शुरू किया गया।
1.30 बजे ही मलबे में फंसी पहले व्यक्ति को निकाला गया।
3.05 तक सभी लोगों को बाहर निकाल लिया गया था।
4 बजे तक बाकी के हिस्सों को भी टटोलती रही टीम।