सौभाग्य चो उजर एक घण्टे की प्रस्तुति है
रथ के ऊपर नाटक के पात्र माँहगु जो किसान की भूमिका में है, गोबरू जो गांव के वृद्घ की भूमिका के पात्र हैं, सोन्धर पात्र एक कुम्हार का है एवं गांव के स्कूल के गुरुजी के भूमिका के पात्र हैं बने थे। नाटक ‘सौभाग्य चो उजरÓ एक घण्टे की प्रस्तुति है, जिसमें बिजली विभाग की योजनाओं का वर्णन सरल हलबी भाषा में किया गया है। सौभाग्य योजना से हर घर को बिजली की बिना किसी भुगतान सुविधा को जहाँ बताया गया है
स्कूल गुरुजी बातों बातों में बिजली से सुरक्षित रहने की जानकारी भी देते है
वहीं फ़्लैट रेट स्कीम से घरेलू और कृषि हेतु सस्ती बिजली को सरल स्थानीय भाषा में अभिव्यक्त किया गया है। युवक सोन्धुर के मिट्टी की मटकी के लिए गोबरू बाबा का कहना की गांव की मिट्टी के साथ पानी में सोन्धुर की मेहनत का स्वाद भी आ रहा है। स्कूल गुरुजी बातों बातों में बिजली से सुरक्षित रहने की जानकारी भी देते हैं। नाटक की हलबि भाषा में सहज बातचीत से जहां समझने में आसानी हुईं है वहीं लोकगीत और लोकनृत्य से मनोरंजन भी है। ऐसे दो रथ गांवों में पहुंचकर हल्बी नाटक प्रस्तुत करने वाले हैं।
बिजली से गांव में आयी
ख़ुशहाली को जहां बताया गया है, वहीं बिजली आ जाने से गाँव के लोंगों की आमदनी बढ़ जाने से स्वरोजग़ार को बढ़ावा मिलना को भी दिखाया गया है। सोन्धर कुम्हार ने अब चाक घुमाने के लिए बिजली मोटर लगा ली है जिससे अब वह अधिक मिट्टी के बर्तन बनाने लगा है। नाटक में जब स्कूल के गुरुजी मांहगु किसान को जब अन्नपूर्णा कहते हैं तो किसान भावुक हो जाता है और यह कहता है कि आज ही बिजली पंप लगाएगा ताकि अब सब के लिए अनाज उगा पायेगा।