सामान्य लाइट के साथ आ रही गाड़ी अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो रही
आमतौर पर फॉग लैंप का उपयोग विकल्प के तौर पर किया जाना है। यानी अगर सडक़ पर कोहरे की स्थिति बने तभी इस लैंप का उपयोग किया जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। वाहन चालक सडक़ पर ज्यादा स्पष्ट रोशनी पाने के चक्कर में सामान्य मौसम में ही फॉग लाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं और अचानक हेडलाइट की जगह फॉग लाइट के संपर्क में आने से सामने से सामान्य लाइट के साथ आ रही गाड़ी अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो रही है। गाडिय़ों के विदेशी मॉडल में बदलाव जरूरी
भारत की सडक़ों के अनुपरूप बदलाव किया जाना चाहिए
जगदलपुर के कृषि वैज्ञानिक और रोड सेफ्टी एक्सपर्ट आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि, कोण्डागांव में जो हादसा हुआ, उसकी अगर समीक्षा की जाए तो मालूम होता है कि बस की हेड लाइड की जगह एलईडी लाइट वाली फॉग लैंप का उपयोग किया जा रहा था, उसे विदेशी फॉरमेट पर तैयार किया गया है। बस जगुआर कंपनी का लोगो था। यह कंपनी भारत में ही गाडिय़ां बनाती है लेकिन इसका मैनिफैक्चिरिंग फॉर्मेट फॉरेन का ही है। देश में इस वक्त बहुत सी विदेशी कंपनियों की गाडिय़ां चल रही हैं। जिनमें वे सुविधाएं दी गई हैं जिनका उपयोग भारत के परिदृष्य में संभव नहीं है। इन कंपनियों के मॉडल में भारत की सडक़ों के अनुपरूप बदलाव किया जाना चाहिए। रायपुर से जगदलपुर चलने वाली गाडिय़ों की विंड स्क्रीन पर अनावश्यक लाइटिंग भी हादसे का कारण बन रही हैं। इस पर आरटीओ को एक्शन लेना चाहिए।
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