27 साल की जेल
पुलिस ने मामले की जांच कर आरोप पत्र जिला सत्र न्यायालय में पेश किया था। प्रकरण से जुड़े साक्ष्य और गवाहों के बयान के आधार पर आरोपी प्रितोष के विरुद्ध धारा 373 के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल सश्रम कारावास व 50 हजार रुपए अर्थदंड, धारा 493 में ७ वर्ष सश्रम कैद व 25 हजार रुपए अर्थदंड और धारा 313 के तहत 10 वर्ष का सश्रम और 50 हजार रुपए अर्थदंड की सजा दी गई है। यह तीनों सजाएं एक साथ चलेंगी। इस मामले की शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक अखिलेश ने पैरवी की।
भगवान की तस्वीर के सामने पहनाया मंगलसूत्र
मई 2015 में 26 वर्षीय पीडि़ता को प्रितोष ने अपने घर बुलाया और भगवान की तस्वीर के सामने मंगलसूत्र व अंगूठी पहनाकर शादी का भरोसा दिया। यहां तक की शादी का कार्ड भी छपा लिया था। इसके बाद प्रितोष ने इच्छा के विरुद्ध पीडि़ता का दैहिक शोषण किया। इस बीच दो बार वह गर्भवती हो गई। आरोपी ने दो बार पीडि़ता का गर्भपात एक निजी अस्पताल में करवाया। जब भी पीडि़ता शादी की बात कहती थी वह टाल-मटोल करता था। एक दिन पीडि़ता को खबर मिली कि धोखे में रखकर प्रितोष ने एक दूसरी लडक़ी से सगाई कर ली है। इसके बाद पीडि़ता ने थाने में शिकायत की।