scriptऐसा क्या हुआ कि, मां ने अपने ही दो मासूम बेटियों को मारकर, खुद सो गई मौत की नींद | Maoist's wife killed her children, herself commite suicide and death | Patrika News

ऐसा क्या हुआ कि, मां ने अपने ही दो मासूम बेटियों को मारकर, खुद सो गई मौत की नींद

locationजगदलपुरPublished: Sep 12, 2019 12:19:15 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

suicide case: मुठभेड़ में मारे गए कथित माओवादी (Naxalite) की पत्नी (Wife) अपने तीन और ढेड़ साल की मासूम बच्चियों के साथ फांसी में झूल गई।

ऐसा क्या हुआ कि, मां ने अपने ही दो मासूम बेटियों को मारकर, खुद सो गई मौत की नींद

ऐसा क्या हुआ कि, मां ने अपने ही दो मासूम बेटियों को मारकर, खुद सो गई मौत की नींद

suicide case नारायणपुर. अबूझमाड़ के धुरबेडा पंचायत के गुमरका गांव में एक पखवाड़े पहले पुलिस और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में मारे गए कथित माओवादी की पत्नी अपने तीन और ढेड़ साल की मासूम बच्चियों के साथ फांसी में झूल गई। दोनों बेटी सुंदरी गोटा (3) एंव सुदनी गोटा (डेढ़ साल) को फांसी लगाकर मारने के बाद कथित माओवादी दुग्गा गोटा की पत्नी ताडो गोटा ने भी अपनी जान दे दी।

ग्रामीण पुलिस व माओवादियों के बीच पीस रहे
बुधवार को अबूझमाड़ के करीब तीन दर्जन गांव के ग्रामीणों के जिला मुख्यालय पहुंचने के बाद इस घटना का खुलासा हुआ। घटना की रिपोर्ट पुलिस थाने में अभी तक दर्ज नहीं हुई है। मृत तीनों लोगों को गांव में दफ नाया गया है। ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक चंदन कश्यप को ज्ञापन सौपकर मामले से अवगत कराया गया है। पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस द्वारा माओवादियों के साथ मुठभेड़ में जंगल गए दो लोगों को पकड़ कर गोली मारकर हत्या कर दी थी। विधायक को सौंपे ज्ञापन में ग्रामीणों ने अबूझमाड़ में पुलिस कैंप खोलने का विरोध करते हुए कहा है कि पुलिस और माओवादियों के बीच में वह पीस रहे हैं। पुलिस माओवादियों का सहयोगी बताकर हमें मार रही है।

जंगल लेजाकर मार दिया, बता दिया माओवादी
वहीं दूसरी ओर माओवादी पुलिस का मुखबीर कहकर ग्रामीणों को मौत के घाट उतार रहे हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि पुलिस गश्त के दौरान गांव में या जंगल में ग्रामीणों के साथ मारपीट कर जेल भेज देती है। माओवादी पुलिस कैंप में सहयोग करने का आरोप लगाकर ग्रामीणों के साथ मारपीट करते हैं। 24 अगस्त के मुठभेड़ का जिक्र करते हुए ग्रामीणों ने कहा है कि गुमरका के ग्रामीण करिया गोटा को पुलिस घर से उठाकर ले गई और जंगल में ले जाकर मारकर उसे माआवेादी घटना बता दिया। इनके साथ गांव के दुग्गा गोटा को पकडक़र गोली मारकर उसकी भी हत्या कर दी और माओवादी वर्दी पहनाकर उसे माओवादी डिप्टी कमांडर बता दिया। ग्रामीणों का कहना है कि इस घटना के 6 दिन बाद ताडो गोटा ने सदमे में अपने दो बच्चों के साथ फ ांसी में झूलाकर खुदकुशी कर ली।

5 अगस्त को गुमरका में हुई थी मुठभेड़
अबूझमाड़ के सबसे दुर्गम इलाके में डीआरजी के 120 जवानों ने 24 अगस्त को ५ माओवादियों को मार गिराने की बात पुलिस ने कही थी। ऑपरेशन में शामिल जवानों के पैरों में छाले पड़ गए थे। दो दिन के राशन में तीन दिनों तक चलाते हुए माओवादियों से मुकाबला करते हुए बिस्किट व नमकीन खाकर लौटे थे। अबूझमाड़ के उफनती नदी व नालों को पार करते डीआरजी व एसटीएफ के जवान रविवार की सुबह 25 अगस्त को जिला मुख्यालय पहुंचे थे। इस घटना में डीआरजी के राजू नेताम शहीद हो गए। वहीं समारू गोटा घायल हुए थे।

माओवादियों के बहकावे में ग्रामीण
नारायणपुर एसपी मोहित गर्ग ने कहा कि, माओवादियों के बहकावे में आकर पुलिस पर ग्रामीणों के द्वारा आरोप लगाया जा रहा है। मुठभेड़ में पुलिस का एक जवान शहीद हुआ है और एक घायल है। मुठभेड़ पर सवाल उठाना लाजमी नहीं है। मुठभेड़ में जो माओवादी मारे गए हैं उनकी शिनाख्ती हो गई है। उनके शव परिवार के सुपुर्द कर दिए गए हैं। पुलिस का मनोबल गिराने के लिए ऐसा किया जा रहा है। जहां-जहां कैम्प खुले हैं। वहां विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। कोहकामेटा, आकाबेड़ा, सोनपुर और कडेनार के ग्रामीण बेहद खुश हैं।

आदिवासी समाज जांच की मांग करेगा
सर्व आदिवासी समाज नारायणपुर के अध्यक्ष बिसेल नाग ने बताया कि, अबूझमाड़ के गुमरका में पति की मौत से सदमे में आकर मासूम बच्चियों के साथ फांसी लगा आत्महत्या कर लेने की घटना ह्रदय विदारक है। पुलिस माओवादियों के नाम पर आदिवासियों पर अत्याचार किया जा रहा है। गुमरका मुठभेड़ की न्यायिक जांच के लिए सीएम से शिकायत की जाएगी। सर्व आदिवासी समाज की टीम गांव जाकर घटना की छानबीन करेगा।

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