ग्रामीणों का आरोप है कि जवान महिलाओं को गांव के माओवादियों द्वारा संचालित स्कूल से गिरफ्तार कर ले गए थे। गांव में बच्चों और ग्रामीणों की पिटाई की, स्कूल के बर्तन को भी नुकसान पहुचाया और स्कूल को भी जला दिया। बाद में जब इन महिलाओं को लेकर माओवादियों ने पर्चा जारी किया तो पुलिस ने इनकी कहीं और से गिरफ्तारी दिखा दी। वहीं पुलिस का दावा है कि तीनों माओवादी स्थानीय संगठन के एलओएस सदस्य सुनीता गावड़े, डिप्टी कमांडर मैनी और एरिया कमेटी मेंबर की रामसु वेदा के रूप में पहचान हुई है।
माओवादियों ने कहा हमारे स्कूल में पढाती थी
माओवादियों के रावघाट एरिया कमेटी के सचिव अर्जुन पद्धा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि गिरफ्तार महिलाएं उनके संगठन द्वारा संचालित स्कूल में शिक्षक थीं। जवानों ने इन्हें पकडक़र न केवल स्कूल बल्कि बच्चों की किताबें और खाने-पीने की सामग्री को आग के हवाले कर दिया। वहीं उन्होंने गांव के सामान को क्षति पहुंचाने और जवानों पर लूटपाट का आरोप भी लगाया है। हालांकि माओवादियों ने इस मामले को लेकर पर्चा ८ फरवरी को जारी किया था। जिसके दूसरे ही दिन पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी दिखाई थी।
ग्रामीणों का आरोप पहले घेरा फिर बच्चों की कर दी पिटाई, माकपा नेता ने की जांच की मांग
मारकेबेड़ा निवासी महरू नरेटी ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के साथ पुलिस की टीम 4 फरवरी को आई थी। इन्होंने पहले गांव को घेरा इसके बाद बच्चों और ग्रामीणों की पिटाई की। स्कूल के शिक्षकों को गिरफ्तार भी किया। इधर माकपा के राज्य सचिव संजय पराते ने मामले में जांच की मांग करते हुए कहा है कि सरकार मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने डीआरजी के आत्मसमर्पित माओवादियों को पहचानकर शिकायत की है, लेकिन पुलिस उनका बचाव कर रही है।
गिरफ्तार तीनों महिलाएं कांकेर जिले में थी सक्रिय
तीनों महिलाओं को जवानों ने मन्नार गांव से गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान माओवादी स्थानीय संगठन के एलओएस सदस्य सुनीता गावड़े, डिप्टी कमांडर मैनी और एरिया कमेटी मेंबर की रामसु वेदा के रूप में हुई है। उन्होंने यह भी दावा किया कि तीनों गिरफ्तार महिलाएं कांकेर जिले में कई माओवादी वारदात में शामिल रहीं। तीनों को 11 फरवरी को अदालत में पेश किया गया था। स्कूल ध्वस्त करने जैसी कोई बात ही नहीं है।
पी. सुंदरराज, आईजी, बस्तर रेंज