बस्तर के किसान श्रीनिवास मिश्रा का कहना है कि बदलते दौर में कृषि के क्षेत्र में भी काफी बदलाव हुआ है अत्याधुनिक तकनीक के दौर में उत्पादन बढ़ाने की होड़ लग गई है खाद-बीज और दवाईयों की बढ़ी कीमतों के कारण बढ़ी लागत को किसान उत्पादन में वृद्धि कर पूरा करना चाहते है यही कारण है कि कृषको का पूरा ध्यान उत्पादन बढ़ाने में लग गया है ।उन्होंने बताया कि पूर्व में कृषक बारीक एवं उन्नत किस्म धान का उत्पादन कर उसकी प्रोसेसिंग कर चावल के रूप में अच्छी कीमत में बेचते थे लेकिन अब आलम यह है कि कई कृषक अपना पूरा धान बेंच देते है तथा वे स्वयं राशन का चावल खरीदकर खाते है ।
अंचल में 15 फीसदी खेत बिना बुआई के
बस्तर में सिंचाई की सुविधा की कमी होने के कारण यहाँ के अधिकांश कृषक एक ही फसल लेते है कृषि विभाग के उप संचालक एस एस सेवता की माने तो अब किसानों में खेती के प्रति रुझान बढ़ रहा है कृषि रकबा में हर साल वृद्धि हो रही है वर्ष 2021-22 में जिले में रबी का रकबा31917 हे तथा 157453 हे खरीफ की फसल लगाई गई थी लेकिन धान बेचने के लिए 49899 किसानों ने पंजीयन कराया था लेकिन कुल 31047 किसानों ने ही लैम्प्स को धान बेंचा है शेष दस हजार किसान अपना धान नही बेंच पाए य उनका उत्पादन प्रभावित हुआ ।
कृषि कार्य के लिए मजदूरों का अभाव
जानकार बताते है कि बस्तर में पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा शुरू सस्ते राशन की योजना कृषको के लिए परेशानी का सबब बन गई। लोगो की अधिक आवश्यकता न होने के कारण लोग कृषि कार्य से दूर होते चले गए, जिसके कारण मजदूरी की दर लगातार बढ़ती चली गई। एक दशक पूर्व कृषि मजदूरी की दर 50₹थी जो अब 6 गुना बढ़कर लगभग 300₹ प्रतिदिन तक पहुंच गई है इसी तरह एक एकड़ खेती में लगभग 12 हजार रुपये खर्च होते थे वह डर आज बढ़ कर लगभग 40 हजार हो गई है लेकिन खर्च के साथ साथ उत्पादन में भी काफी वृध्दि हुई है लेकिन आमदनी का अनुपात घटा है ग्राम सरगीपाल के कृषक रामधर कश्यप बताते है कि अब कृषि लाभ का व्यवसाय नही रहा । उनके पास 12 एकड़ की खेती है लेकिन मजदूरों के अभाव बोआई नही करवा पा रहे है 5 एकड़ खेती पड़ती पड़ी है ।