scriptमेडिकल कॉलेज जगदलपुर के ओपीडी में ताला देख मरीज पहुंचे डिमरापाल अस्पताल फिर… | Medical College Jagdalpur OPD patients found locked in Dimarpal | Patrika News

मेडिकल कॉलेज जगदलपुर के ओपीडी में ताला देख मरीज पहुंचे डिमरापाल अस्पताल फिर…

locationजगदलपुरPublished: Jul 08, 2018 01:15:22 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

ओपीडी का बंद ताला देख डिमरापाल जा रहे मरीज लेकिन आधी अधूरी तैयारी में नहीं हो पा रहा इलाज

डिमरापाल अस्पताल

मेडिकल कॉलेज जगदलपुर के ओपीडी में ताला देख मरीज पहुंचे डिमरापाल अस्पताल फिर…

जगदलपुर. अचानक मेडिकल कॉलेज को डिमरापाल शिफ्ट करने का काम क्या शुरू हुआ मरीजों की जान पर बन आई है। शिफ्टिंग के बाद महारानी अस्पताल पहुंच रहे मरीज केजुएलटी का बंद गेट देख बेहतर इलाज के इरादे से शहर से 9 किमी दूर डिमरापाल जा रहे हैं। लेकिन यहां भी मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसका कारण है आधी अधूरी तैयारी। यहां काम करने वाले कर्मचारी, डॉक्टर से लेकर मरीज तक इधर से उधर चक्कर लगा रहे हैं। मालूम हो कि महारानी अस्पताल में आपातकालीन वार्ड को बदलकर अंदर टेलिमेडिसिन वार्ड की तरफ ले जाया गया है। साथ ही यहां 100 बिस्तर का जिला अस्पताल जारी है।

पत्रिका रिपोर्टर मेडिकल कॉलेज डिमरापाल जायजा लेने पहुंचे
शनिवार को पत्रिका रिपोर्टर मेडिकल कॉलेज डिमरापाल जायजा लेने पहुंचे। यहां अंदर पहुंचने से पहले ही मरीजों को ओपीडी व आपातकालीन तक ले जाने के लिए कोई कर्मचारी नजर नहीं आया। आगे बढऩे पर अव्यवस्था साफ नजर आई। कर्मचारी खुद ही किसी चीज का सहारा लेकर यहां बैठने की जुगत में लगे रहे। इधर ओपीड़ी के बाहर इसी बीच के एमरजेंसी केस आया। लक्की विश्वकर्मा नाम का एक्सीडेंट हुआ। इनके परिवार ने पहले महारानी अस्पताल लेकर पहुंचे इसके बाद डिमरापाल। लेकिन यहां भी काफी समय तक इलाज के लिए इंतजार करना पड़ा। इलाज करने डॉक्टर तो तुरंत पहुंच गए लेकिन यहां साधनों के आभाव में वे भी असहाय नजर आए।

मशीनों की गैरमौजूदगी में इलाज करना हो रहा मुश्किल
इधर शिफ्टिंग के बाद इतने बड़े कॉलेज में सीटी स्कैन मशीन का न होना अभी भी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। शनिवार को भी यहां इलाज के लिए आए कुछ ही देर में दो मरीजों को सिटी स्कैन मशीन की जरूरत पड़ी। लेकिन यहां नहीं होने व बीएसआर में खराब होने की वजह से गरीब लोग इसकी सुविधा से वंचित हैं। साथ ही यहां अन्य जरूरी मशीने भी नहीं आई हैं इसलिए मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और इलाज करने में डॉक्टरों को मशक्कत पेश आ रही है।

दवा लेने मरीजों को आना पड़ रहा शहर
लक्की विश्वकर्मा के परिजन इलाज के लिए डिमरापाल पहुंचे। यहां न तो प्लास्टर था न दवा। एेसे में परिवार के सदस्य दवा के लिए जगदलपुर की तरफ भागे। इसके बाद करीब 2 घंटे की मशक्कत के बाद पट्टी मिली। तब कहीं जाकर लक्की को पट्टी व आगे का इलाज संभव हो सका।

पानी की किल्लत बनी बड़ी समस्या
पूरे बिल्डिंग में कई इलाके एेसे हैं, जहां लोगों ने पानी की दिक्कत की बात कही है। इसके लिए पहले भी अटकलें लगाई जा रहीं थी कि यहां बिल्डिंग के हिसाब से पानी की पानी की व्यवस्था करने में मशक्कत हो सकती है। शिफ्टिंग के बाद शिकायत भी शुरू हो गई है।

नर्सों को वापस लाने नहीं प्रयास
इधर मरीजों के इलाज का जिम्मा संभालने वाली नर्सों को भी काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है। यहां अस्पताल प्रबंधन के द्वारा नर्सों को इंतजाम तो किया जा रहा है। लेकिन उनका आरोप है कि उनकी वापसी के लिए कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। नया बिल्ििउंग होने के चलते देरतक काम करने के बाद भी रात के उनकी वापसी के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। एेसे में डिमरापाल से जगदलपुर तक उन्हें रात में आने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

कलक्टर पहुंचे जायजा लेने, कहा मरीज के इलाज में सक्रियता दिखाएं प्रबंधन
शनिवार को कलक्टर धनंजय देवांगन भी अस्पताल का जायजा लेने डिमरापाल पहुंचे। यहां उन्होंने मेकॉज अधीक्षक अविनाश मेश्राम के साथ यहां का दौरा किया और खामियों को जल्द दूर करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि क्यों कि यह नयी बिल्डिंग है इसलिए डॉक्टरों और प्रबंधन को चाहिए की वह मरीजों को राहत देने के लिए अतिरिक्त प्रयास करे। वहीं उन्होंने यहां मरीजों को खाना उपलब्ध कराने के लिए जगह और परिजनों के रूकने के लिए जगह का निरीक्षण किया। उन्होंने पत्रिका से विशेष चर्चा करते हुए कहा कि इतनी बड़ी प्रक्रिया चल रही है कुछ अव्यवस्था जरूर होगी लेकिन इसे दूर करने के बाद और भी बेहतर इलाज मिलेगा। साथ ही मरीजों को ज्यादा दिक्कतें न उठाना पड़े उसके लिए आवश्यक प्रयास किए जा रहे हैं।

सामान्य हो रही स्थिति
आधी अधूरी तैयारी में शिफ्टिंग का काम शुरू हुई। लेकिन कर्मचारियों व डॉक्टरों की मुस्तैदी के चलते यहां की स्थिति सामान्य हो रही है। शनिवार को कई वार्डों में मरीजों की शिफ्टिंग दोपहर होते होते आराम से होना शुरू हो गया था। यहां नर्सों से लेकर वार्ड ब्याय तक ने काम मरीजों को सुविधा देने के लिए आगे बढ़कर प्रयास करना शुरू कर दिया। इससे मरीजों व उनके परिजनों में भी विश्वास बढ़ा है। इसके बावजूद मरीजों की दिक्कत कम नहीं है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो