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कोरोना के आगे एक सप्ताह तक चट्टान बनकर खड़े रहने के बाद जानिए क्या कहते हैं क्वारंटाइन होने वाले डॉक्टर

locationजगदलपुरPublished: Apr 06, 2020 01:50:14 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

पत्रिका सबसे पहले आपको मिलवा रहा टीम ए के उन डॉक्टरों से जिन्होंने एक सप्ताह की ड्यूटी पूरी की, बताया कि, आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी यानी जंग के मैदान में खड़े होना

कोरोना के आगे एक सप्ताह तक चट्टान बनकर खड़े रहने के बाद जानिए क्या कहते हैं क्वारंटाइन होने वाले डॉक्टर

कोरोना के आगे एक सप्ताह तक चट्टान बनकर खड़े रहने के बाद जानिए क्या कहते हैं क्वारंटाइन होने वाले डॉक्टर

जगदलपुर. वैश्विक महामारी कोरोना का कहर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। हर तरफ से भय और संशय से भरी खबरे मिल रही हैं। वहीं डॉक्टर, नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ कोरोना के आगे चट्टान बनकर खड़े हैं, जो कोरोना को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। कोरोना से लडने के लिए डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर, स्टाफ नर्स और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की चार टीम बनाई गई है, जिनकी एक-एक कर मेडिकल कॉलेज के आईसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लगाई जा रही है। एक टीम सप्ताहभर 12-12 घंटे की शिट में ड्यूटी कर रहे हैं। वहीं टीम ए के डॉक्टरों ने अपनी ड्यूटी पूरी कर ली है। अब इन डॉक्टरों को १४ दिनों के लिए क्वारेंटाइन किया गया है। डॉक्टरों ने पत्रिका को अपने एक सप्ताह के ड्यूटी के बारे में बताया, जो इस प्रकार है।

सप्ताहभर में सिर्फ एक दो बार ही बात हुई परिवार से
मेडिकल कॉलेज की डॉ. शेरीन जाकोब ने अपना सप्ताहभर की ड्यूटी पूरी कर ली है। अब वह १४ दिनों के क्वारेंटाइन में है। उन्होंने बताया कि ड्यूटी के दौरान सप्ताहभर में सिर्फ एक से दो बार ही परिवार से बात हुई है। अपने प्रोफेशन में पहली बार इस तरह की महामारी देखने को मिला। ड्यूटी में बस यहीं फोकस रहता था कि एक भी मरीज स्कैनिंग में छुट मत जाए। यदि एक भी मरीज छुटा तो वह सैकड़ों लोगों को संक्रमित करेंगा। शुरुआत के एक-दो दिन दिक्कत हुआ। इसके बाद सब ठीक हो गया।

गर्भवती पत्नी को घर में अकेले छोड़ कर रहे ड्यूटी
गर्भवती पत्नी को घर में अकेले छोडकर डॉ. एम. शमीम कोरोना के लिखाफ जंग लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका परिवार यूपी मे रहता है और वह अपनी पत्नी के साथ मेडिकल कॉलेज के स्टाफ क्वाटर में रहते हैं। वह पिछले सप्ताहभर से घर नहीं गए है और अलगे १४ दिनों तक घर से दूर रहेंगे। पत्नी गर्भवती होने के बावजूद वह अपनी ड्यूटी से पीछे नहीं हटे। ड्यूटी के दौरान सप्ताहभर में सिर्फ दो से तीन बार ही परिवार वालों से मोबाइल पर बात हो पाया है। डॉ. शमीम का कहना है कि १२-१२ घंटे तक पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट पहन कर काम करने में दिक्कत होता है। आईसोलेशन वार्ड में एसी भी बंद रहता है। ऐसे में ड्यूटी के बाद जब वापस लौटते थे तो काफी सर दर्द होता था।

पहले दिन डर लग रहा था
डॉ. मनी किरण ने बताया कि आईसोलेशन वार्ड में ड्यूटी के दौरान पहले दिन डर लग रहा था। दरअसल अपने प्रोफेशन में कभी भी इस तरह की महामारी से सामना नहीं हुआ था। परिवार वालों को जब पता चला कि आईसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लगा है, तो वो भी डर गए। परिवार के लोगों ने सावधानी बरते हुए ड्यूटी करने के लिए कहा। पर्सनल प्रोटेक्शन इक्युपमेंट (पीपीई) किट पहन कर १२ घंटे ड्यूटी करने में दिक्कत होता था। एक बार किट पहन लेने के बाद इसे ड्यूटी खत्म होने के बाद ही उतारते थे। ऐसे में ड्यूटी के दौरान पानी पीने में भी दिक्कत होता था। इसलिए ड्यूटी में जाने से पहले ही खाना-पीना कर लेते थे।

परिवार वाले डर गए थे
मेडिकल कॉलेज की एमडी मेडिसीन डॉक्टर आरती भगत ने बताया कि जब परिवार वालों को पता चला की कोरोना संक्रमण के लिए आईसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लगाई गई है वे डर गए थे। वहीं मरीजों का इलाज करना भी हमारा कर्तव्य है। यदि हम ही डर जाएंगे तो इस महामारी से कैसे लड़ पाएंगे। डॉक्टर का पहला कर्तव्य है कि वह मरीजों का इलाज करें और हम अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। डॉ. भगत ने बताया कि उनका परिवार जशपुर में रहता है। ऐसे में सिर्फ फोन पर ही बात हो पाता है।

पीपीई किट पहन कर ड्यूटी करने में दिक्कत होता था
डॉ. शालनी एक्का ने बताया कि अब तक के प्रोफेशन में पहली बार ऐसा हुआ कि पर्सनल प्रोटेक्शन किट (पीपीई) पहन कर १२ घंटे ड्यूटी करना पड़ा। एक बार पीपीई किट पहन लेने के बाद इसे उतार नहीं सकते। इस कारण १२ घंटे की ड्यूटी में खाना-पीना तो दूर वाश रूम जाने में भी दिक्कत होता था। वहीं डॉक्टरों का काम मरीजों का इलाज करना है, तो हम पीछे नहीं हट सकते। परिवार वाले बिलासपुर में रहते हैं। परिवार के लोगों ने भी पूरा सहयोग किए। ममी-पापा ने बस यहीं कहा कि अपना ख्याल रखना।

24 घंटे ड्यूटी के लिए तैयार
कोरोना के खिलाफ छिड़ी जंग में डॉक्टरों के साथ रिसर्चर अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रही है। इसके बाद भी वे २४ घंटे ड्यूटी के लिए तैयार रहती है। मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेट्री (वीआरडीएल) लैब में पदस्थ डॉ. नीतू जॉन इस महामारी से डरने के बजाए डट कर उसका मुकाबला कर रही है। कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों की जांच के लिए वह रोजाना १२ से 15 घंटे ड्यूटी कर रही है। इसके बाद भी डॉ. नीतू को थकान महसूस नहीं हो रहा, बल्कि वे २४ घंटे ड्यूटी करने के लिए भी तैयार रहती है।

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