पूरे समुद्री तट की करते हैं सफाई: गोपालपुर, पोडेमपेटा, गौखुरखुदा, बातेश्वर के समुद्रीतट पर इन कछुओं के आमद की तैयारियां दो माह पहले से शुरु हो जाती हैं। इसके लिए सामुदायिक भागीदारी से बीच एरिया का सारा कचरा हटा दिया जाता हैं। आसपास की हाईमास्ट लाइटों को भी बुझा दिया जाता है। पूरा प्राकृतिक व सुर क्षित माहौल बनाया जाता है। इसके बाद कछुओ की आमद शुरू होती है।
इस साल आए 6 लाख से ज्यादा कछुए: रॉकी मार्टिन ने बताया कि ओलिव रिडले कछुओ के आने का पूरा साइंटिफिक डाटा रखा जाता है। समुद्री जीव विज्ञानी इनकी टैगिंग भी करते हैं। इस साल करीब 6 लाख से ज्यादा मादा कछुए इस तट पर आ चुकी हैं। एक मादा कछुआ सौ से अधिक अंडे देती हैं। अंडों को रेत में दबाकर वे समुद्र की ओर वापस चली जाती हैं। इन अंडो से 45 दिन के बाद बच्चे बाहर आ जाते हैं। वे सीधे समुद्र की अेार चलने लगते हैं।