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मनरेगा कर्मियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

locationजगदलपुरPublished: Jun 03, 2022 04:23:58 pm

Submitted by:

Rajeev Vishwakarma

दमनकारी हथकंडे का आरोप : जिले के 178 अधिकारी-कर्मचारियों ने विभाग प्रमुख को सौंपा इस्तीफा हड़ताल नहीं करने बॉन्ड भरवाने की तैयारी – संघ

मनरेगा कर्मियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

मनरेगा कर्मियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

दन्तेवाड़ा . बीते दो माह से हड़ताल कर रहे मनरेगा अधिकारी-कर्मचारियों ने शासन-प्रशासन पर दमनकारी हथकंडे अपनाने का आरोप लगाते हुए गुरूवार को सामूहिक इस्तीफा दे दिया। पदों को

विलोपित कर प्रतिनियुक्ति से भरने व हड़ताल वापसी के बाद कभी भी हड़ताल नहीं करने बांड भरवाने की तैयारी के विरोध में संगठन ने यह कदम उठाया। जिले के 178 मनरेगा अधिकारी-कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफे पर हस्ताक्षर किया।
जिला मुख्यालय के आंवराभाटा स्थित दुर्गा मंच पंडाल में धरना प्रदर्शन कर रहे हड़ताली कर्मचारियों ने बताया कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में हमें नियमित करने का वादा किया था। किंतु साढ़े 3 वर्ष व्यतीत होने के उपरांत भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की गई । कोरोना काल में हमने ग्रामीण मजदूरों को काम देने एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत बनाने अपने जान की परवाह किए बगैर कार्य किए हैं, जिसके परिणाम स्वरूप राज्य को प्राप्त लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 5 माह में 120 प्रतिशत की उपलब्धि प्राप्त की। आम जनता के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए हमारे 200 से अधिक मनरेगा कर्मचारी कोरोना काल में शहीद हुए जिनकी शहादत को भी सम्मान नहीं दिया गया। आज इन परिवारों की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है। लगातार अपनी मांगों को शासन,प्रशासन के समक्ष हम शांतिपूर्ण ढंग से रखते आए हैं। इसके बाद भी प्रशासनिक स्तर पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई। जिसके कारण मनरेगा कर्मचारियों के मन में रोष व्याप्त होता गया 7 जिसका परिणाम यह हुआ कि 4 अप्रैल से राज्य भर के मनरेगा कर्मचारी हड़ताल पर आ गए। हड़ताल के दौरान सरकार ने हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया और प्रशासनिक अधिकारी सेवा समप्ति की धमकी देकर और डराकर हड़ताल को कुचलने के लगातार प्रयास करते रहे किंतु हड़ताल 60 दिनों से निरंतर जारी है। अपने अधिकार के लिए कर्मचारी जो हड़ताल में है उनकी आवाज दबाने के लिए प्रशासन अब अलोकतांत्रिक तरीकों से हड़ताल खत्म करने की रणनीति बना रहा है। हड़ताल में शामिल मनरेगा अधिकारी कर्मचारी के पद को विलोपित किए जाने का प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किया जा रहा है साथ ही हड़ताल वापसी की स्थिति में मनरेगा कर्मचारियों से कभी भी हड़ताल में शामिल नहीं होने का बांड भरवाने की तैयारी है, जो संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है। प्रशासन के इस अलोकतांत्रिक तरीकों का हम विरोध करते हैं। महासंघ यह बताना चाहता है कि महात्मा गांधी नरेगा योजना में विगत 10-15 सालों से कार्य कर छत्तीसगढ़ राज्य को कई बार देशभर में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान दिलाए हैं । इसके बावजूद सरकार का रवैया निराशाजनक है।
लंबित भुगतान को लेकर ग्रामीणों से दीपिका की चर्चा

सुकमा . जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी अंदरूनी क्षेत्र में बसे ग्राम पंचायत मानकापाल के ग्रामीणों से लंबित मनरेगा मजदूरी भुगतान सहित गांव की उनकी समस्याओं से रूबरू हुई।
भाजयूमो प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता दीपिका शोरी दीपिका ने बताया कि मानकापाल के कुछ युवाओं के द्वारा ग्राम में वर्ष 2020-21 में मनरेगा योजना के तहत मानकापाल में कुछ कार्य किए गए थे, जिनकी मजदूरी अभी तक शेष है व अन्य समस्याओं की भी जानकारी मुझे आज सुबह मिली और मैं अपनी टीम के साथ मानकापाल पहुंची पंचायत में 5 तालाबों की मंजूरी मिली पर कार्य होने के पश्चात मजदूरी नहीं मिली है, दैनिक मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले मजदूर अपना जीवन किस प्रकार जी रहे है एक सोचनीय विषय है। दीपिका ने कहा कि मानकापाल पंचायत के अंतर्गत 5 पारे आते हैं जिनमे मनरेगा योजना के अंतर्गत तालाब निर्माण की स्वीकृति शासन के द्वारा मिली थी, जिनमे कुछ पूर्ण हो गए हैं व कुछ अपूर्ण हैं परन्तु सारे तालाबों के मूल्यांकन अनुसार मस्टररोल जनपद पंचायत कार्यालय सुकमा में दिए जा चुके हैं, बावजूद इसके जनपद कार्यालय के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के चलते मजदूरों को मजदूरी भुगतान नहीं किया गया है।
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