scriptबस्तर के 646 वनांचल गांवों में आसानी से बजेगी मोबाइल की घंटी, 545 टावर होंगे अपग्रेड | Mobile bell will ring easily in 646 Vananchal villages of Bastar | Patrika News
जगदलपुर

बस्तर के 646 वनांचल गांवों में आसानी से बजेगी मोबाइल की घंटी, 545 टावर होंगे अपग्रेड

Tower will be installed in village of Bastar: आज शहरों में लोग 5 जी उपयोग करने की चाह रखते हैं, लेकिन बस्तर के कुछ गाँव आज भी ऐसे हैं जहाँ लोग कॉल में ठीक से बात तक नहीं कर पाते। लेकिन अब पुलिस और राज्य सरकार के प्रयासों के बाद भारतीय संचार निगम (बीएसएनएल) द्वारा प्रदेश में 646 ग्रामीण क्षेत्रों में नए टावर अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है।

जगदलपुरDec 08, 2022 / 12:07 pm

CG Desk

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file photo

Tower will be installed in village of Bastar: आधुनिक दौर के इस युग में कई गांव बीते 22 सालों से नेटवर्क विहीन है। इन गांवों में नेटवर्क नहीं आता और लोगों को बात करने के लिए कई किलोमीटर दूर पहाड़ो में जाना पड़ता था। यह सवाल हम आपसे करेंगे, तो आपको इसे मजाक समझेंगे… लेकिन छत्तीसगढ़ के कई गांवों में आज स्थिति कुछ इसी तरह से है। पुलिस और राज्य सरकार के प्रयासों के बाद भारतीय संचार निगम (बीएसएनएल) द्वारा प्रदेश में 646 ग्रामीण क्षेत्रों में नए टावर और वामपंथ उग्रवाद प्रभावित (एलडब्लूई) क्षेत्रों के 545 टावर को 4जी में अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है।

कुछ गांवों में टॉवर लगाने की प्रक्रिया चल रही है, तो कुछ गांवों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। बीएसएनएल के अधिकारियों का कहना है, कि आने वाले दिनों टावर लगने की प्रक्रिया होने के बाद इसे शुरू कर दिया जाएगा और ग्रामीण और इन इलाकों में पदस्थ शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों को नेटवर्क समस्या से निजात मिल सकेगी।

केंद्र सरकार किश्तों में दे रही फंड
टॉवर लगने की प्रक्रिया युद्ध स्तर पर चल रही है। इसके लिए किश्तों में 204 करोड़ रुपए केंद्र सरकार द्वारा दिया जाएगा। बताया जाता है कि इन टावरों के शुरू होने पर 2000 से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को नेटवर्क की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। बता दें कि इस समय शहर से दूर ग्रामीण क्षेत्र और दूरस्थ इलाकों में मोबाइल का नेटवर्क नहीं मिलने से पर काम नहीं करते। इसके चलते मोबाइल होने के बाद भी संपर्क नहीं हो पाता है। टॉवर लगने के बाद मोबाइल टावर के साथ ही केबल भी बिछाए जा रहे है। ताकि मोबाइल की कनेक्टिविटी की समस्या को दूर किया जा सके।

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त्रिस्तरीय तैयारी
दूरस्थ इलाकों तक मोबाइल की कनेक्टिविटी पहुंचाने के लिए त्रिस्तरीय तैयारी चल रही है। सुरक्षित इलाकों का चयन करने के बाद टावर लगाया जा रहा है। वहीं फाइबर केबल बिछाकर उन्हें जोडऩे के साथ ही माइक्रोवेव वीमेट सेटेलाइट द्वारा दो टावरों को आपस से जोडऩे की तैयारी भी चल रही है। ताकि दूरस्थ जंगल के इलाकों को एक टावर से दूसरे को जोडकऱ नेटवर्क का जाल फैलाया जा सकें। इसमें 900 मेगाहर्ट वाले टावर 5 किमी और 1800 मेगाहर्टस वाले 2.5 किमी के रेंज को कवर करेंगे।

इसलिए जरूरत
राज्य के नेटवर्क विहीन ग्रामीण क्षेत्रों तक संचार तंत्र को पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार का अमला संयुक्त रूप से काम कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों तक मोबाइल की कनेक्टिविटी पहुंचने से संचार तंत्र मजबूत होगा। इस समय नक्सल क्षेत्र में तैनात अधिकांश जवानों जंगल में गश्त करने और दूरस्थ इलाकों में ड्यूटी के दौरान अपने परिवार वालों से बातचीत करने के लिए पेड और पहाड़ पर चढकऱ बात करना पड़ रहा है। इसके चलते कई बार उन्हें जोखिम भी उठाना पड़ रहा था। वहीं नक्सलियों के मूवमेंट और उनकी गतिविधियों की सूचनाएं पुलिस और सुरक्षा बलों तक नहीं पहुंचा पा रहे थे। मोबाइल के शुरू होने के तुरंत सूचनाएं मिलने पर वह फोर्स को इसकी सूचनाएं दें सकेंगे।

यहां लगेंगे टावर
नक्सल प्रभावित बस्तर, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव, धमतरी, गरियाबंद, जशपुर, सूरजपुर, कोरिया, कवर्धा और सरगुजा जिले में मोबाइल के टावर लगाए जाएंगे।

सुरक्षित इलाकों में लगेंगे टावर
विवेकानंद सिन्हा, एडीजी नक्सल आपरेशन ने बताया, मोबाइल टावरों को लगाने के लिए पुलिस, राजस्व और इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के आधार सुरक्षित स्थानों पर लगाया जा रहा है। इनके लगने के बाद संचार सुविधाएं बढ़ेगी।

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