शौचालयों के मरम्मत में बरती गई लापरवाही : छात्रावास के शौचालय की मरम्मत में भी लापरवाही बरती गई है बाथरूम व स्नानगार में पानी का जलजमाव बना रहता है, पानी निकासी सही से नहीं होने की वजह से छात्रों को समस्या उत्पन्न हो रही है, शौचालय के दरवाजे मरम्मत के 1 से 2 माह के अंदर ही लटकने लगे।
नलों का भी बुरा हाल है इसी के साथ शौचालय के पीछे हिस्से में होने की वजह से वहां पर दरवाजे व अन्य जगहों पर उखड़े प्लास्टर की मरम्मत भी नहीं की गई और ना ही इस हिस्से में पूरी तरह से रंगाई पुताई का काम भी नहीं किया गया है।
आश्रम भवन के पीछले हिस्से की दीवारों पर पुटी और रंगाई पुताई का काम बिल्कुल भी नहीं किया गया है इसके अलावा छत के कॉर्नरों की भी मरम्मत नहीं की गई। आश्रम अधीक्षक ने बताया कि बारिश के दिनों में छत का पानी रिस कर पूरे दीवारों में नमी पैदा करता है और जो रंगाई पुताई का काम किए हैं यह बारिश के कुछ ही दिनों में बदरंग हो जाता है।
मरम्मत के चंद दिनों बाद ही दरवाजे लटके
विगत शिक्षा सत्र में जहां कोरोना के चलते स्कूली आश्रम छात्रावास बंद पड़ा था उस दौरान आश्रम शाला का मरम्मत का कार्य करवाया गया। मरम्मत कार्य के महज एक-दो माह के अंदर ही यहां के खिड़की दरवाजे लटकने लग गए। ठेकेदार व तकनीकी अधिकारी की मिलीभगत से इसी तरह से अमानक स्तर के खिड़की दरवाजों का लगा कर खानापूर्ति कर दिया गया। शौचालय के दरवाजे अब खोलने और बंद करने के लिए भी नहीं है। खिड़कियों में एलुमिनियम सेक्शन लगाया गया। जिसमें से एक जालीदार सेक्शन भी लगाया है, जालीदार सेक्शन महज चंद दिनों में उखड़ कर अब अलग से मुड़ने लगा है। यह जालीदार सेक्शन मच्छरों व अन्य परजीवी को आश्रम के अंदर घुसने से बचाव के लिए लगाया गया था वह अब किसी काम का नहीं रह गया है। वहीं एलुमिनियम सेक्शन की खिड़कियां कई जगह दीवार पर लटकी हुई है, जिसके ठीक भी नहीं लगाया गया है।
विगत शिक्षा सत्र में जहां कोरोना के चलते स्कूली आश्रम छात्रावास बंद पड़ा था उस दौरान आश्रम शाला का मरम्मत का कार्य करवाया गया। मरम्मत कार्य के महज एक-दो माह के अंदर ही यहां के खिड़की दरवाजे लटकने लग गए। ठेकेदार व तकनीकी अधिकारी की मिलीभगत से इसी तरह से अमानक स्तर के खिड़की दरवाजों का लगा कर खानापूर्ति कर दिया गया। शौचालय के दरवाजे अब खोलने और बंद करने के लिए भी नहीं है। खिड़कियों में एलुमिनियम सेक्शन लगाया गया। जिसमें से एक जालीदार सेक्शन भी लगाया है, जालीदार सेक्शन महज चंद दिनों में उखड़ कर अब अलग से मुड़ने लगा है। यह जालीदार सेक्शन मच्छरों व अन्य परजीवी को आश्रम के अंदर घुसने से बचाव के लिए लगाया गया था वह अब किसी काम का नहीं रह गया है। वहीं एलुमिनियम सेक्शन की खिड़कियां कई जगह दीवार पर लटकी हुई है, जिसके ठीक भी नहीं लगाया गया है।
आश्रम अधीक्षक को भी किया गुमराह
आश्रम अधीक्षक को भी मरम्मत कार्य के दौरान ठेकेदार के द्वारा क्या-क्या कार्य किया जा रहा है, इसकी जानकारी मांगने पर भी नहीं दिया गया। ठेकेदार के द्वारा आश्रम अधीक्षक को भी एक प्रकार से गुमराह किया गया। कार्य पूर्ण कराने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिखना पड़ा। उन्होंने बताया की किनते कि लागत से मरम्मत हुआ इसकी जानकारी नहीं है।
आश्रम अधीक्षक को भी मरम्मत कार्य के दौरान ठेकेदार के द्वारा क्या-क्या कार्य किया जा रहा है, इसकी जानकारी मांगने पर भी नहीं दिया गया। ठेकेदार के द्वारा आश्रम अधीक्षक को भी एक प्रकार से गुमराह किया गया। कार्य पूर्ण कराने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिखना पड़ा। उन्होंने बताया की किनते कि लागत से मरम्मत हुआ इसकी जानकारी नहीं है।
दिव्यांग शौचालय.....
दिव्यांग शौचालय में भी पानी की व्यवस्था नहीं की गई है, अगर कोई दिव्यांग बच्चा आश्रम में पढ़ने आता है तो उसको स्वयं पानी की व्यवस्था करनी होगी। मॉडल आश्रम बनाने प्रशासन ने पहल तो अच्छी की है लेकिन ठेकेदार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को ठेंगा दिखाने में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस तरह से जिला प्रशासन के कार्यलय से चंद किमी दूर ऐसे मॉडल आश्रम की न्यू रखी गई है।
दिव्यांग शौचालय में भी पानी की व्यवस्था नहीं की गई है, अगर कोई दिव्यांग बच्चा आश्रम में पढ़ने आता है तो उसको स्वयं पानी की व्यवस्था करनी होगी। मॉडल आश्रम बनाने प्रशासन ने पहल तो अच्छी की है लेकिन ठेकेदार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को ठेंगा दिखाने में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस तरह से जिला प्रशासन के कार्यलय से चंद किमी दूर ऐसे मॉडल आश्रम की न्यू रखी गई है।