केंद्र सरकार इसमें अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचेगी। इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई। लगभग 1980 एकड़ में स्थापित हो रहे इस प्लांट की उत्पादन क्षमता 30 लाख टन प्रतिवर्ष होगी। इसके निर्माण पर 23 हजार 140 करोड़ रुपए लागत आएगी। अभी तक इस पर 17 हजार 186 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इसमें से 16 हजार 662 करोड़ रुपए एनएमडीसी ने खर्च किए हैं। 524 करोड़ रुपए बांड के जरिए जुटाए गए हैं। प्लांट को अलग करने और इसके विनिवेश की प्रक्रिया एक साथ शुरू की जाएगी। इसे सितंबर 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री दोबारा कोरोना संक्रमित, अब तक 19 लोगों पर हुआ वायरस का डबल अटैक इधर, विनिवेश को लेकर लगातार विरोध
इधर, प्लांट के विनिवेशीकरण को लेकर स्थानीय स्तर पर लगातार विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस ने इस मसले पर जगदलपुर से लेकर नगरनार तक पदयात्रा भी निकाली थी। इसके बाद इस आंदोलन को विस्तार देते हुए बीते सितंबर के पहले सप्ताह में ही सुकमा से लेकर जगदलपुर तक पदयात्रा निकाली गई थी। पखवाड़े भर तक नगरनार परिसर के बाहर धरना प्रदर्शन भी किया गया था। इस आंदोलन को एनएमडीसी में कार्यरत कई श्रमिक संगठन व प्रभावित ग्रामीण भी कर रहे थे।
भूमि अधिग्रहण से 1365 किसान परिवार हुए थे प्रभावित
प्लांट के निर्माण के लिए 1506 एकड़ निजी व 547 एकड सरकारी व 90 एकड़ वन भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसमें 1365 किसान परिवार प्रभावित हुए हैं। इन्हें विनिवेश सहित विस्थापन की अन्य सुविधाएं देने का एनएमडीसी ने वायदा किया था। विनिवेश के बाद इन प्रयासों का क्या होगा यह सवाल भी उपज रहा है।
बलरामपुर गैंगरेप: SDOP और थाना प्रभारी निलंबित, CM बोले – कोताही बरतने वाले बख्शे नहीं जाएंगे इधर, एनएमडीसी प्रबंधन प्लांट ने प्लांट के आधारभूत संरचना का 80 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो जाने का दावा किया है। कोक ओवन स्थापना को लेकर भी प्रयास जारी हैं। कोरोना काल की वजह से प्लंाट में निर्माण कार्य कुछ धीमी गति से जारी है।