scriptमिलिंद तेलतुंबड़े की मौत ने बनाया गढ़चिरौली मुठभेड़ को हाई प्रोफाइल | Narayanpur Gadchiroli encounter of Naxali Milind teltumbde | Patrika News

मिलिंद तेलतुंबड़े की मौत ने बनाया गढ़चिरौली मुठभेड़ को हाई प्रोफाइल

locationजगदलपुरPublished: Nov 16, 2021 07:01:53 pm

Submitted by:

CG Desk

गढ़चिरौली : महाराष्ट्र सीमा पर सी-60 कमांडो की बड़ी कार्रवाई का मामला.

milind_naxali.jpg

रायपुर/ नागपुर . छत्तीसगढ़ से सटे महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के कोटगुल-ग्यारापत्ती जंगल में शनिवार को पुलिस और नक्सलियों के बीच में 26 नक्सली मारे गए और 4 पुलिस कर्मी घायल हुए। छत्तीसगढ़ के बस्तर और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुठभेड़ आम बात है पर 26 मृतक नक्सलियों में से जिस नाम ने पूरे देश की मीडिया का ध्यान खींचा वो था नक्सली नेता मिलिंद तेलतुंबड़े का। मिलिंद का नाम आते ही यह मुठभेड़ एकाएक नक्सल आंदोलन के इतिहास में सबसे बड़े मुठभेड़ के रूप में दर्ज हो गया। पुलिस व सुरक्षा एजेंसीओ के लिए शायद पश्चिम बंगाल में किशनजी की मौत के बाद यह सबसे बड़ी उपलब्धि है।

ऐसा था मिलिंद तेलतुंबडे
मिलिंद तेलतुंबडे नक्सली संगठन के सबसे शीर्ष और महत्वपूर्ण सेंट्रल कमेटी का सदस्य था और महाराष्ट्र पुलिस ने उस पर 50 लाख रुपयों का इनाम रखा था।

छत्तीसगढ़ पुलिस की तरफ से भी मिलिंद पर इनाम रखा गया था। देश की कई सुरक्षा एजेंसियां पिछले तीन दशकों से मिलिंद की तलाश में थी। नक्सली संगठन में मिलिंद बहुत तेजी से ऊपर आया था। 52 साल की उमर में ही उसे सेंट्रल कमेटी का सदस्य बना दिया गया था। सेंट्रल कमेटी तक पहुंचने से पहले मिलिंद नक्सलियों की महाराष्ट्र स्टेट कमेटी का सचिव रह चुका था। पिछले कुछ सालों से वह माओवादियों के महाराष्ट्र- मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन का इंचार्ज था। इन तीन राज्यों के शहरी इलाको में होने वाली नक्सल गतिविधियों में मिलिंद की प्रमुख भूमिका रहती थी,जो बात उसे सबसे हाई प्रोफ़ाइल बनाती थी वो थी उसका डॉक्टर बाबासाहब आम्बेडकर के परिवार से सीधा रिश्ता। डॉक्टर आम्बेडकर की पोती रामा मिलिंद के बड़े भाई आनंद तेलतुंबडे की धर्मपत्नी है।

मिलिंद को आम्बेडकर परिवार से रिश्ते का फायदा
मिलिंद का अम्बेडकर परिवार से जुड़े होने का नक्सली संगठन ने पूरा फायदा उठाया। उसका इस संगठन में इतने कम समय में इतने बडे पद पर पहुंचने में इस कनेक्शन का महत्वपूर्ण किरदार रहा। मिलिंद को आगे कर नक्सलियों ने महाराष्ट्र के दलित समाज के युवा वर्ग को अपनी ओर खींचने की पुरजोर कोशिश की। चाहे वो 2006 में हुए खैरलांजी आंदोलन हो या फिर भीमा कोरेगांव में दलितों पर हुए पथराव की घटना के बाद हो। लेकिन महाराष्ट्र की प्रगतिशील सामाजिक व्यवस्था व ताकतवर दलित आंदोलन के चलते उन्हें इसमें ज्यादा सफलता नही मिल पाई।

भीमा कोरेगांव के दंगों में मिलिंद और उसके भाई हैं मुख्य आरोपी
31 दिसंम्बर 2017 को महाराष्ट्र के पुणे में हुए एल्गार परिषद के मामले में पहले महाराष्ट्र पूलिस व बाद में एनआइए ने मिलिंद तथा उसके भाई आनंद को मुख्य आरोपी बनाया था। महाराष्ट्र पुलिस और एनआईए का कहना है कि 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में जो दंगा हुआ उसका कारण एल्गार परिषद थी और मिलिंद किसी और नाम से इस परिषद के आयोजन में शामिल था।

भीमा कोरेगांव की घटना के बाद पुणे पुलिस ने कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जिसमें आनंद तेलतुंबडे भी शामिल थे। पुलिस का कहना है कि आनंद तथा मिलिंद ने साथ मिलकर एल्गार परिषद का आयोजन किया था। आनंद फिलहाल मुंबई की जेल में है और केस का अभी ट्रायल भी शुरू नही हुआ है। 2019 में आनंद ने एक इंटरव्यू में रिपोर्टर को बताया था कि उन्हें अपने छोटे भाई का चेहरा देखे 38 साल हो चुके हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो