जगदलपुर. कोंटा इलाके में नक्सलियों की जड़ें जमाने मे दुर्दांत नक्सली रामन्ना का बड़ा योगदान माना जाता है उसकी ट्राइबल पत्नी सावित्री और पुत्र रंजीत भी नक्सल संगठन में सक्रिय थे दो वर्ष पूर्व कोरोना काल मे रामन्ना की मौत के बाद उसका पुत्र रंजीत ने 2021 में तथा अब सावित्री ने तेलंगाना पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है, इस घटना ने नक्सल संगठन में तेलगू और ट्राइबल कैडर के बीच जारी अंतर्कलह को उजागर कर दिया है खबर है सावित्री जो कोंटा एरिया कमेटी की सचिव भी थी ने अपने स्वास्थ्य गत कारणों से पिछले दो वर्षो से आत्मसमर्पण के लिए नक्सली संगठन से गुहार लगा रही थी विगत 7 और 8 सितम्बर को पामेड़ इलाके के मीनागट्टा के जंगलों में नक्सलियों की एक बड़ी बैठक हुई थी जिसमे डीकेएसज़ेडसी सचिव केआरसी रेड्डी,सुजाता, हिड़मा और चंद्रन्ना सहित कई प्रमुख नक्सली मौजूद थे इस बैठक में भी सावित्री को अनुमति नही दी गई । बैठक के दौरान कुछ तेलगू एवं ट्राइबल कैडर के नक्सलियों के बीच नोकझोंक होने की भी जानकारी मिली है जिसमे ट्रायबल कैडर के नक्सलियों के साथ दोहरा मापदंड अपनाए जाने का आरोप लगाया गया है।
सावित्री पर छग में 10 लाख का है इनाम
बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि नक्सली सावित्री के तेलंगाना में आत्मसमर्पण की जानकारी उन्हें भी मिली है हालांकि तेलंगाना पुलिस ने इसकी पुष्टि अब तक नही है लेकिन नक्सलियों ने अपने प्रेस नोट में इस बात का जिक्र किया है कि सावित्री ने नक्सल संगठन छोड़ दिया है। आईजी ने बताया कि सावित्री पर छग में कई अपराधों में लिप्त है यहां उस पर 10 लाख का इनाम घोषित है इसके अलावा तेलंगाना और ओड़िसा पुलिस से आत्मसमर्पित नक्सलियों ने पूछताछ में बताया है कि नक्सलियों में लोकल कैडर तथा तेलगू कैडर के बीच काफी मतभेद है लोकल कैडर के साथ भेदभाव किया जाता है इसी कारण बड़ी संख्या में उनके कैडर आत्म समर्पण कर रहे है ।
डीवीसीएम राजेश की हुई मौत
सूत्रों की माने तो दक्षिण बस्तर में सक्रिय राजेश उर्फ जोगा की भी बीमारी से एक सप्ताह पूर्व मौत हो चुकी है बुर्कलंका निवासी राजेश भी लंबे समय से बीमार चल रहा था वह नक्सल बटालियन की कम्पनी नम्बर एक मे तैनात था जिसने भी आत्मसमर्पण के लिए नक्सल संगठन से गुजारिश की थी लेकिन उसे भी अनुमति नही मिली । बताया जाता है कि एक सप्ताह पूर्व उसकी इलाज के अभाव में मौत हो गई है इसी तरह झारखंड में तैनात दक्षिण बस्तर का एक नक्सली नरेश चुपचाप भाग आया है झीरम कांड में शामिल रहा एक और नक्सली नेता विनोद जिसे बाद में एमएमसी में तैनात किया गया था वह कोरोना काल मे दक्षिण बस्तर लौट आया था बीमारी की वजह से वह भी मुख्य धारा में लौटना चाहता था लेकिन उसे भी अनुमति नही मिली और अंततः उसकी भी मौत हो गई । पूरा जीवन नक्सल संगठन को समर्पित करने वाले कई नक्सलियों की मौत के बाद उनकी बॉडी के लिए भी परिजन तरस गए है लेकिन उन्हें नही मिली । वही आंध्र के कई ऐसे नक्सली भी है जिन्हें संगठन आसानी से आत्मसर्पण की अनुमति दे चुका है इनमें से सुधाकर,जम्पन्ना, आयतू,शेखर प्रताप आदि नाम प्रमुखता से लिये जाते है ।
पुत्र रंजीत के अनुरोध को नही ठुकरा पाई सावित्री
पहले एरिया कमेटी और फिर डीवीसी मेम्बर के रूप में बस्तर के बीहड़ों में दो दशक से अधिक समय गुजर चुकी सावित्री पहले काफी आक्रामक नक्सली के रूप में जानी जाती थी वह मूलतः भेज्जी के नज़दीक चिंतागुफा की निवासी है रामन्ना से शादी के बाद वह बदल गई, यही कारण है कि संगठन में उसकी एक नई पहचान बन गई । जानकार बताते है कि सावित्री नक्सलियों का एक सियासी चेहरा भी रह चुकी है रामन्ना की पत्नी होने के बावजूद हमेशा लो प्रोफ़ाइल में रहने वाली सावित्री की बाहर तस्वीर तक नही है सूत्रों के मुताबिक संगठन के निर्देशों के मुताबिक चलने वाली सावित्री रामन्ना की मौत के बाद पुत्र मोह में फंस गई, उसका पुत्र रंजीत पिछले एक वर्ष से अपनी माँ को आत्मसमर्पण के मनाता रहा, अंत में वह अपने पुत्र का आग्रह टाल न सकी और संगठन के
मना करने के बावजूद अंततः उसने संगठन का अनुशासन तोड़कर जंगल से बाहर आकर तेलंगाना एसआईबी के माध्यम से समर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गई , हालांकि तेलंगाना पुलिस ने अभी सावित्री का समर्पण अधिकृत रूप से घोषित नही किया है पर तेलंगाना के पुलिस अफसरों ने सावित्री के होने की पुष्टि की है ।
नक्सलियों ने की आलोचना, हरकत को शर्मनाक बताया
नक्सलियों ने सावित्री ( माड़वी हड़मे )के समर्पण को शर्मनाक बताते हए उसे गद्दारी करार दिया है नक्सलियों के दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी के सचिव गंगा द्वारा जारी बयान ने स्वीकार किया गया है कि वह नक्सल संगठन से बाहर आकर कोत्तगुडम एसपी के समक्ष घुटने टेक दिए है नक्सलियों ने सावित्री को कमज़ोर नक्सली बताते हुए उसे उसकी हरकत को शर्मनाक बताया है उसे एरिया कमेटी से लेकर डीकेएमएस का अध्यक्ष तक संगठन ने पहुचाया है। बावजूद उसके उसने पार्टी को धोखा दिया है |
बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि नक्सली सावित्री के तेलंगाना में आत्मसमर्पण की जानकारी उन्हें भी मिली है हालांकि तेलंगाना पुलिस ने इसकी पुष्टि अब तक नही है लेकिन नक्सलियों ने अपने प्रेस नोट में इस बात का जिक्र किया है कि सावित्री ने नक्सल संगठन छोड़ दिया है। आईजी ने बताया कि सावित्री पर छग में कई अपराधों में लिप्त है यहां उस पर 10 लाख का इनाम घोषित है इसके अलावा तेलंगाना और ओड़िसा पुलिस से आत्मसमर्पित नक्सलियों ने पूछताछ में बताया है कि नक्सलियों में लोकल कैडर तथा तेलगू कैडर के बीच काफी मतभेद है लोकल कैडर के साथ भेदभाव किया जाता है इसी कारण बड़ी संख्या में उनके कैडर आत्म समर्पण कर रहे है ।
डीवीसीएम राजेश की हुई मौत
सूत्रों की माने तो दक्षिण बस्तर में सक्रिय राजेश उर्फ जोगा की भी बीमारी से एक सप्ताह पूर्व मौत हो चुकी है बुर्कलंका निवासी राजेश भी लंबे समय से बीमार चल रहा था वह नक्सल बटालियन की कम्पनी नम्बर एक मे तैनात था जिसने भी आत्मसमर्पण के लिए नक्सल संगठन से गुजारिश की थी लेकिन उसे भी अनुमति नही मिली । बताया जाता है कि एक सप्ताह पूर्व उसकी इलाज के अभाव में मौत हो गई है इसी तरह झारखंड में तैनात दक्षिण बस्तर का एक नक्सली नरेश चुपचाप भाग आया है झीरम कांड में शामिल रहा एक और नक्सली नेता विनोद जिसे बाद में एमएमसी में तैनात किया गया था वह कोरोना काल मे दक्षिण बस्तर लौट आया था बीमारी की वजह से वह भी मुख्य धारा में लौटना चाहता था लेकिन उसे भी अनुमति नही मिली और अंततः उसकी भी मौत हो गई । पूरा जीवन नक्सल संगठन को समर्पित करने वाले कई नक्सलियों की मौत के बाद उनकी बॉडी के लिए भी परिजन तरस गए है लेकिन उन्हें नही मिली । वही आंध्र के कई ऐसे नक्सली भी है जिन्हें संगठन आसानी से आत्मसर्पण की अनुमति दे चुका है इनमें से सुधाकर,जम्पन्ना, आयतू,शेखर प्रताप आदि नाम प्रमुखता से लिये जाते है ।
पुत्र रंजीत के अनुरोध को नही ठुकरा पाई सावित्री
पहले एरिया कमेटी और फिर डीवीसी मेम्बर के रूप में बस्तर के बीहड़ों में दो दशक से अधिक समय गुजर चुकी सावित्री पहले काफी आक्रामक नक्सली के रूप में जानी जाती थी वह मूलतः भेज्जी के नज़दीक चिंतागुफा की निवासी है रामन्ना से शादी के बाद वह बदल गई, यही कारण है कि संगठन में उसकी एक नई पहचान बन गई । जानकार बताते है कि सावित्री नक्सलियों का एक सियासी चेहरा भी रह चुकी है रामन्ना की पत्नी होने के बावजूद हमेशा लो प्रोफ़ाइल में रहने वाली सावित्री की बाहर तस्वीर तक नही है सूत्रों के मुताबिक संगठन के निर्देशों के मुताबिक चलने वाली सावित्री रामन्ना की मौत के बाद पुत्र मोह में फंस गई, उसका पुत्र रंजीत पिछले एक वर्ष से अपनी माँ को आत्मसमर्पण के मनाता रहा, अंत में वह अपने पुत्र का आग्रह टाल न सकी और संगठन के
मना करने के बावजूद अंततः उसने संगठन का अनुशासन तोड़कर जंगल से बाहर आकर तेलंगाना एसआईबी के माध्यम से समर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गई , हालांकि तेलंगाना पुलिस ने अभी सावित्री का समर्पण अधिकृत रूप से घोषित नही किया है पर तेलंगाना के पुलिस अफसरों ने सावित्री के होने की पुष्टि की है ।
नक्सलियों ने की आलोचना, हरकत को शर्मनाक बताया
नक्सलियों ने सावित्री ( माड़वी हड़मे )के समर्पण को शर्मनाक बताते हए उसे गद्दारी करार दिया है नक्सलियों के दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी के सचिव गंगा द्वारा जारी बयान ने स्वीकार किया गया है कि वह नक्सल संगठन से बाहर आकर कोत्तगुडम एसपी के समक्ष घुटने टेक दिए है नक्सलियों ने सावित्री को कमज़ोर नक्सली बताते हुए उसे उसकी हरकत को शर्मनाक बताया है उसे एरिया कमेटी से लेकर डीकेएमएस का अध्यक्ष तक संगठन ने पहुचाया है। बावजूद उसके उसने पार्टी को धोखा दिया है |