उन्होंने हमेशा कहा है कि अनुकूल महौल में जनता व जनआंदोलनों के हित में वह जनता की मुलभूत समस्याओं को लेकर शासक वर्ग के साथ वार्ता करने को तैयार है, लेकिन ऐसा माहौल तो तैयार करें।
उन्होंने कहा कि आज के हालात ऐसे नहीं है। इस साइकिल यात्रा से शांति संभव नहीं है। डीकेएसएडसी ने अपने पर्चें में इस शांति साइकिल यात्रा कार्यक्रम के संयोजक सुभ्रांशु चौधरी को कॉरपोरेट घरानों का एजेंट बताते हुए कहा सरकार जो आदिवासियों पर बर्बरता कर रही है, उससे ध्यान हटाने के लिए यह प्रयास किए जा रहे हैं।
सिर्फ साइकिल मार्च निकालने से शांति नहीं आएगी। अगर सहीं माएने में शांति चाहिए तो उन्होंने पेसा कानून से लेकर पांचवी अनुसूची, निर्मला बुच समिति द्वारा तय नियमों को फॉलो करने और बस्तर की जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को रिहा करने जैसे 30 से अधिक मामले में बताए।
माओवादियों ने प्रदेश की नई कांग्रेस सरकार पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार भी भाजपा की तरह पुराने ढर्रे पर चल रही है। बस्तर में अभी भी बेकसूर आदिवासियों को मुठभेड़ में माओवादी बताकर मारा या जेल में डाला जा रहा है। माओवादियों ने कहा कि हिंसा को रोकने के लिए प्रतिहिंसा जरूरी है और वह यही कर रहे हैं।