दल्लीराजहरा रावघाट परियोजना के चलते मिश्रित प्रजाति के 882 यानि 200 घनमीटर वृक्षों की कटाई करने के बाद ढुलाई भानुप्रतापपुर वनमण्डल तक करनी है। जिसके कार्य में वन कर्मचरी एंव ठेकेदार लगे हुए थे।
दल्लीराजहरा रावघाट रेललाईन को विरोध करते हुए माओवादियों ने डेढ़ माह पहले कोसरोन्डा एंव रेंघाभाट गांव के बीच जंगल में करीब 30 जगह पेडों में बैनर टांग कर वृक्षों की कटाई बंद करने सहित रेल लाईन के विरोध को में बाते लिखी थी। इसके बावजूद वृक्षों की कटाई करने का कार्य निरतंर चल रहा था। जिसकी भनक माओवादियों को थी। वे इससे नाराज थे।
मिली जानकारी के अनुसार लौह अयस्क परिवहन के लिए इस इलाके से दल्लीराजहरा तक रेललाईन बिछाने का कार्य चल रहा है। नारायणपुर वनमण्डल के पूर्व सोनपुर परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 2444 में लगे हुए वृक्षों की कटाई एंव ढुलाई करने का ठेका भानुप्रतापपुर के ठेकेदार दरबारीराम जैन को दिया गया है। इसके चलते ठेकेदार एंव नारायणपुर वनमण्डल के कर्मचारी पिछले 2 माह से वृृक्षों की कटाई एंव ढुलाई करने का कार्य कर रहे थे।
दल्लीराजहरा रावघाट रेललाईन परियोजना के तहत रेल लाईन बिछाने के कार्य की सुरक्षा के लिए नारायणपुर से अंतागढ़ मार्ग पर कांकेर जिले के क्षेत्र में जगह-जगह पुलिस बेस कैम्प है। इसके चलते कांकेर जिले के रावघाट थाना से 15 किलोमीटर दूर एंव कोसरोन्डा एसएसबी 33वी वाहिनी बैस कैम्प से लगभग 800 मीटर दूर कोसरोन्डा एंव रेंघाभाट गांव के बीच जंगल में माओवादियों ने दस्तक देकर इस वारदात को अंजाम
दे दिया।
घटना से घबराए वन कर्मचारियों ने किसी तरह कोलर गांव पहुचने के बाद मोबाईल के माध्यम से घटना की जानकारी डीएफओ स्टायलो मंडावी को दी। इसके बाद डीएफओ सहित अन्य पीडित वन कर्मचारियों ने कांकेर जिले के रावघाट थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाई। समाचार लिखे जाने तक वन कर्मचारी मुख्यालय नहीं पहुंच पाए थे।
माओवादियों ने उपवन क्षेत्रपाल बी चक्रधर, वनपाल अमल सोरी, वनरक्षक सुरेश उसेण्डी, वनरक्षक चमन कुमेटी सहित दरबारीराम जैन, उनके पुत्र ज्ञानेश्वर जैन एंव केएस नाग की डंडे से जमकर पिटाई कर दी। इसमें केएस नाग का हाथ टूट गया है। वही अन्य को भी अंदरूनी चोटे आई हैं। पीडित किसी तरह कोसरोन्डा पुलिस बेस कैम्प पहुंचे जहां पर उनका प्राथमिक उपचार किया गया। वनरक्षक बासीराम सोरी एंव गुडड़् खाना बनाने के कार्य में व्यस्त होने के कारण पिटाई से बच गए। उपचार के बाद ठेकेदार दरबारीराम जैन एंव केएस नाग भानुप्रतापपुर लौट गए।