रिशु इस्ताम का परिवार मुठभेड़ के करीब 24 दिन बाद अपने इलाके से बाहर निकली उस दिन की पूरी घटना के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने बेटे रिशु का आधार कार्ड भेजा। जिसमें उसकी जन्म तिथि 2005 हैं। बेटे को खो चुके परिवार ने बताया कि रिशु की चाची नदी पार से चावल ला रही थी। एक बार लाने के बाद जब वह वापस लौटी तो यह दोनों वहीं नदी किनारे उसका इंतजार कर रहे थे। उनके पास न तो कोई हथियार था और न ही कोई नक्सली सामान। इस बीच फोर्स ने उन पर गोली दाग दी।
यह है पुलिस की कहानी
दतेवाड़ा पुलिस के मुताबिक नक्सल उन्मूलन के तहत 21 मई 2020 को थाना गीदम के गुमलनार झिरकापार के पहाड़ी में प्लाटून नंबर 16 के कमांडर मल्लेशए डिप्टी कमांडर रिशू इस्ताम समेत 25 से 30 माओवादियों के होने की सूचना मिली थी। जिसके बाद डीआरजी की टीम वहां पहुची व कुछ देर चली मुठभेड़ में दो नक्सलियों को उन्होंने मार गिराया। इसमें रिशु इस्ताम शामिल था।
पिछले 8 साल से नक्सल संगठन से जुड़ा था इस्ताम
रिशु इस्ताम नाम का जो नक्सली मुठभेड़ में मारा गया वह प्लाटून नंबर 16 का डिप्टी कमांडर है। परिजन डेड बॉडी लेने पहुंचे थे तो उन्होंने भी इस बात को कबूल किया था। जिसको शव सौंपते हुए बयान भी दर्ज किया गया था। वह पिछले 8 साल से इलाके के कमांडर मल्लेश के साथ मिलकर काम कर रहा था। रिशु बाल संघम से संगठन से जुड़ा हुआ था। पुलिस ने जांच की थीए रिशु की उम्र 15 साल की नहीं है। उसकी उम्र करीब 24 से उपर है। जो आधार कार्ड बताया जा रहा है वह गलत हो सकता है।
-पी सुंदरराज, आईजी, बस्तर रेंज