तिरंगा चौक के कंटेनमेंट जोन के औचित्य पर सवाल
नयामुंडा के तिरंगा चौक को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है लेकिन यहां पर प्रशासन के द्वारा उस तरह से निगरानी नहीं की जा रही है जैसी एक जोन के लिए होनी चाहिए। यहां पर लोग निगरानी के अभाव में अपनी मर्जी से कहीं भी आना जाना कर रहे हैं। सिर्फ मुख्य रास्तों पर ही बैरिकेडिंग की गई है जबकि मोहल्ले से बाहर निकलने के कई वैकल्पिक रास्ते हैं और उन रास्तों का इस्तेमाल करके वार्ड के लोग बेहिचक बाहर निकल रहे हैं। इस पर शहर के लोगों का कहना है कि अगर जोन को पूरी तरह से सील नहीं कर सकते तो दिख्खावे के लिए जोन घोषित कर वहां के लोगों परेशान करने की क्या जरूरत है। जोन कब खुलेगा यह तय कर देना चाहिए।
कंटेनमेंट जोन में बिना मास्क के घूम रहे लोग
कोरोना वायरस का कहर प्रदेश में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। वहीं कंटेनमेंट जोन अंबेडकर वार्ड में लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। यहां पर गलियों में लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। महिलाएं घर के बाहर बिना मास्क लगाए बैठकर बातचीत कर रही हैं तो वहीं बच्चे बाहर खेल रहे हैं। लोग कोरोना के कहर को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
मरीज और परिजनों को कैंटिन से खरीदना पड़ा भोजन
कंटेनमेंट जोन एमपीएम हॉस्पिटल में फंसे मरीज और उनके परिजनों के लिए प्रशासन ने भोजन तक की व्यवस्था नहीं कर पाया। मरीज के परिजनों ने बताया कि उन्हें हॉस्पिटल में स्थित कैंटिन से भोजन खरीद कर खाना पड़ा। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों से आए गरीब लोगों को काफी परेशानी हुई। दरअसल कंटेनमेंट जोन में न तो कोई जा सकता है और न ही कोई बाहर आ सकता है। ऐसे में मरीज के परिजन घर से भी खाना नहीं पहुंचा सके।