scriptअब बस्तरवासियों को हड्डी रोग संबंधित ऑपरेशन के लिए नहीं जाना पड़ेगा बाहर | Now the people of Bastaras will not have to go for the Orthopedic oper | Patrika News

अब बस्तरवासियों को हड्डी रोग संबंधित ऑपरेशन के लिए नहीं जाना पड़ेगा बाहर

locationजगदलपुरPublished: Sep 18, 2018 04:55:48 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

आधुनिक मशीनों के आने के बाद हड्डियों के सफल ऑपरेशन अब डिमरापाल में ही हो सकेंगे।

ऑपरेशन के लिए नहीं जाना पड़ेगा बाहर

अब बस्तरवासियों को हड्डी रोग संबंधित ऑपरेशन के लिए नहीं जाना पड़ेगा बाहर

जगदलपुर. लगातार सवालों के घेरे में रहे डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में आखिर एक ऑपरेशन से सभी लोगों का मुंह बंद कर दिया है। जहां लोगों को हिप रिप्लेसमेंट जैसे जटिल ऑपरेशन के लिए शहर से बाहर जाना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। क्योकि आज हड्डी रोग विशेषज्ञों ने बस्तर के डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में ही कूल्हे की हड्डी का सफल ऑपरेशन करने में सफलता पाई है। आधुनिक मशीनों की मदद से अब जगदलपुर में ही हड्डी संबंधित सभी ऑपरेशन कराए जा सकते है।

सिकलीन की वजह से उसके कुल्हे की हड्डी धीरे धीरे गल रही है
जानकारी के अनुसार परपा जगदलपुर निवासी सुरेश 20 कई दिनों से सिकलीन की बिमारी की वजह से उसे चलने में दिक्कत आती थी। जब उसने डिमरापाल में डॉ को दिखाया तो उन्होनें बताया कि, सिकलीन की वजह से उसके कुल्हे की हड्डी धीरे धीरे गल रही है। इसलिए उसे चलने फिरने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

पैसे नहीं होने की वजह से वह जगदलपुर से बाहर जाने में असमर्थ था
डॉक्टरों ने उन्हें हिप रिप्लेसमेंट कराने की सलाह दी तो सुरेश के पास पैसे नहीं होने की वजह से वह जगदलपुर से बाहर जाने में असमर्थ था। तो डॉक्टरों ने सुरेश का इलाज डिमरापाल में ही करने का फैसला लिया। और एक टीम बनाकर इस ऑपरेशन को सफल बनाया। इस सफल ऑपरेशन में डॉक्टर सुनीत पाल, डॉक्टर संदीप, और डॉक्टर मुकेश के सहयोग से यह ऑपरेशन सफल रहा। डॉक्टर का कहना है कि, एनेस्थिसिया स्पेशलिस्ट डॉ राव का भी इस ऑपरेशन में बहुत सहयोग मिला।

विभाग अध्यक्ष डॉक्टर ने बताया
विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सुनीत पाल ने बताया कि सुरेश का सफल ऑपरेशन से वह पूरी तरह ठीक हो चुका है और जल्द ही वह चलने भी लगेगा। उन्होनें बताया कि, मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में आधुनिक मशीन आ जाने से अब हड्डी रोग से सबंधित सभी ऑपरेशन यहां हो सकें गे। अब जवानों को हड्डी में गोली फंसी होने की वजह से बाहर रेफर नहीं करना पड़ेगा।

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