इस बार भी पूर्णत: जैविक खेती होगी : जिले को बीते 8 साल से पूर्णत: जैविक कृषि जिला बनाने का अभियान जारी है। इसके चलते अब सोसायटियों में निजी दुकानों में भी रासायनिक उर्वरकों की बिक्री नहीं होती। इसके साथ ही कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल भी बंद कर दिया है। इसकी जगह जैविक कीटनाशी तैयार करने की ट्रेनिंग किसानों को दिलाई जा रही है, ताकि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध जैव संसाधनों के इस्तेमाल से कीटनाशक तैयार कर सकें। वहीं, जैविक खेती में इस्तेमाल होने वाले जीवामृत खाद निर्माण की ट्रेनिंग पहले किसानों को दिलाई जा चुकी है, लेकिन बीते साल इसके लिए किसानों को रिफ्रेशर के तौर पर पुन: ट्रेनिंग नहीं दिलाई गई थी।
कंपोस्ट खाद का बढने लगा चलन रासायनिक उर्वरक के विकल्प के तौर पर कंपोस्ट खाद व वर्मी कंपोस्ट खाद के इस्तेमाल का चलन बढ़ा है। जिले में विकसित किए गए गोठानों में गोबर खरीदी के बाद उससे वर्मी कंपोस्ट तैयार कर बेचा जा रहा है, जिससे किसानों को स्थानीय तौर पर ही वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध होने लगा है। जिन गांवों में गोठान की सुविधा नहीं है, वहां किसान गोबर की पारंपरिक खाद का इस्तेमाल जमीन की उर्वरता बढ़ाने में कर रहे हैं।