अबूझमाड़ को दो भागों में बांटेगा पल्ली-बारसूर मार्ग, बनने के बाद सैंकड़ों सीमावर्ती गावों को मिलेगा इसतरह का लाभ
जान हथेली में लेकर जवान कर रहे सडक़ की निगरानी

अमित मुखर्जी/जगदलपुर. माओवादियों की जड़ें कमजोर करने बारसूर से पल्ली तक स्टेट हाईवे का निर्माण कार्य जारी है। यह मार्ग अबूझमाड़ को दो भागों में विभाजीत करेगा। बारसुर से नारायणपुर तक ८७ किलोमीटर के इस मार्ग के निर्माण की निगरानी जवान अपनी जान हथेली में लेकर कर रहे हैं।
इस मार्ग को पूरा करने लगातार कैंप खोले जा रहे
माओवादियों ने दो दशक से इस इलाके में अपना दबदबा कायम रखा है, जहां लोगों का आवागमन बंद हो चुका है। इन घने जंगल और पहाड़ी इलाकों में पुलिस और प्रशासन की मदद से सडक़ का निर्माण किया जा रहा है। माओवाद का दंश झेल रहे दर्जनों गांवों को इस सडक़ से जोड़ा जाएगा और इस सडक़ के रास्ते विकास कार्य ग्रामीणों तक पहुंचाया जाएगा। इससे जहां बारसूर और दंतेवाड़ा की नारायणपुर से दूरी कम होगी। वहीं इस मार्ग से जुडऩे वाले गांव तक सडक़ों का जाल भी बिछेगा। जिसके चलते पहाड़ी इलाकों में बसने वाले आदिवासी ग्रामीणों को तक पुलिस और प्रशासन की पहुंच बनेगी। इसलिए इस मार्ग को पूरा करने लगातार कैंप खोले जा रहे हैं। बारसुर से आगे पुसपाल और बोदली में सीआरपीएफ कैंप खोले गए हैं। बोदली तक डामरीकरण कार्य पूर्ण होने के बाद इसके आगे कैंप खोला जाएगा। इसके विपरीत माओवादी इस सडक़ का निर्माण का विरोध कर रहे हैं, वे नहीं चाहते हैं कि इस इन पहाड़ीयों में उनका वर्चस्व कमजोर हो।
- चार साल पहले शुरु किया गया सडक़ निर्माण
बारसुर से नारायणपुर तक जाने वाली इस सडक़ का निर्माण चार वर्ष पूर्व आरंभ किया गया था। यह मार्ग अबूझमाड़ की ऊंची-ऊंची पहाडिय़ों से होकर गुजरता है, जहां माओवादियों ने अपना वर्चस्व स्थापित किए हुए हैं। सडक़ बनने के साथ-साथ प्रशासन और पुलिस भी उन ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच रही हैं, जहां कभी जाना असंभव हुआ करता था।
- हर एक से दो किलोमीटर में पुल का निर्माण
पुसपाल से नारायणपुर तक जाने वाली इस सडक़ में अर्थवर्क का काम पूर्ण हो चुका है। इसके साथ ही पुल का निर्माण और डामरीकरण किए जा रहे हैं। हर एक से दो किलोमीटर की दूरी पर पुल का निर्माण किया जा रहा है। सडक़ जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही है, गांव तक शासन-प्रशासन की योजनाएं भी पहुंचने लगी हैं।
- नारायणपुर से कुतुल और बारसुर से पुसपाल तक डामरीकरण पूरा
नारायणपुर की ओर से कुतुल तक और इधर बारसुर से पुसपाल तक डामरीकण पूर्ण किया जा चुका है। इसके आगे बोदली तक ७ किलोमीटर तक अर्थवर्क और पुलिया का निर्माण किए जा रहे हैं। इसके बाद डामरीकरण कर पक्की सडक़ बनाई जाएगी।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास से आज भी कोसो दूर ग्रामीण
इस सडक़ केबनने के साथ बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बस्तर के सीमावर्ती क्षेत्र में आने वाले गांव में सैकड़ों गावं को लाभ मिलेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य और शासन की विभिन्न योजनाएं माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों तक पहुंच सकें गी। जिसके लिए उन्हें मिलों का पैदल सफर करने के बाद शहर आना पड़ता है।
- वाहनों की होने लगेगी आवाजाही
अब तक यह सडक़ सकरी और कच्ची होने की वजह से वाहनों की आवाजाही नहीं हो पाती थी। डामरीकृत सडक़ बनने से बस, ट्रक इत्यादि वाहनों आवागमन आसानी हो पाएगा। नारायणपुर और दंतेवाड़ा के बीच दूरी कम होने से लोगों को जगदलपुर से होकर आना-जाना नहीं पड़ेगा। इससे समय और रुपए दोनों की ही बचत होगी।
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