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जानिए किस वजह से करोड़ो रूपए के सिक्के पड़े हैं जाम, सरकार के निर्देशों के बाद भी इस वजह से बैंक नहीं लेती सिक्के

locationजगदलपुरPublished: May 17, 2019 12:03:40 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

सभी बैंकों में छोटे डिनोमिनेशन के नोट नहीं मिल रहे, 1,2,5,10,20 और 50 रुपए के नोटों की बनी हुई है किल्लत

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जानिए किस वजह से करोड़ो रूपए के सिक्के पड़े हैं जाम, सरकार के इन निर्देशों के बाद भी इस वजह से बैंक नहीं लेती सिक्के

जगदलपुर. बस्तर संभाग में पिछले एक साल से छोटे नोटों की कमी बनी हुई है। 1,2,5,10,20 और 50 रुपए के नोटों की भारी कमी महसूस की जा रही है। इसकी जानकारी सभी बैंको के प्रमुखों को दी गई है, लेकिन वे इस मामले में खुद को असहाय बताते हैं। इससे व्यापारियों को दैनिक लेनदेन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है,

नोट चलने के योग्य ही नहीं हैं
बस्तर संभाग हाट-बाजारों पर निर्भर हैं, ऐसे में यहां छोटे नोटों और सिक्कों की जरूरत है। इस संबंध में बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आरबीआई गर्वनर को पत्र लिखकर बस्तर में बनी नोटों की कमी को दूर करने की मांग की है। यह उल्लेख करना सामयिक होगा कि बैंकों से बड़ी मिन्नतें करने के बाद यदि छोटे नोट मिल भी गए तो आधे से ज्यादा वापिस बैंकों में जमा कराने पड़ते हैं, क्योंकि वे नोट चलने के योग्य ही नहीं हैं हाट बाजारों में छोटे डिनोमिनेशन के नोट ही संव्यवहार में काम आते हैं। उक्त बातें बस्तर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एवं इंडस्ट्रीज जगदलपुर के महामंत्री ने राजकुमार दण्डवानी ने भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर को लिखे पत्र में कहीं है।

बिना राशि के खाली हाथ लौटते है घर
उन्होंने उक्त पत्र के माध्यम से बताया है कि बस्तर संभाग में दूरस्थ अंचलों में स्थित बैंकों में तो नोटों की भारी कमी है एवं ग्राहकों को बिना राशि प्राप्त किए ही खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। उन्हें अप्रिय स्थिति से गुजरना पड़ रहा हैं अभी भारतीय इंटरनेट बैंकिंग एवं डिजिटल बैंकिग से भिज्ञ नहीं है, और न ही दूरस्थ अंचलों में इंटरनेट सुचारू रूप से कार्य कर रहा है उपभोक्ताओं की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

एटीएम की व्यवस्था निजी ठेकेदारों के हाथ में
सभी बैंकों के एटीएम की व्यवस्था निजी ठेकेदारों को दी गई है वे अधिक से अधिक मुनाफा कमाने एवं कम से कम लागत लगे एटीएम में केवल 500 एवं 200 के नोटों को काउंटर में डाल रहे हैं। इससे संपूर्ण संभाग में छोटे नोटों की कमी हो गई है। यही नहीं प्राय: खाली पड़े रहते हैं। उनमें सही समय में राशि नहीं डाली जाती एवं उपभोक्ता को एक एटीएम से दूसरे एटीएम तक घंटों घूमना पड़ता है, इसकी सत्यता आप अपने सूत्र से जांच कराकर कर सकते हैं।

करोड़ों रूपए के सिक्के जाम पड़े हैं
सरकार एवं भरतीय रिजर्व बैंक की ओर से समय-समय पर ५ एवं 10 रुपए के सिक्कों के बारे में सूचना जारी कर बताया जाता है, कि सभी मुद्रा वैधानिक एवं एवं चलन में है, लेकिन आज स्थिति यह है कि न केवल अनपढ़ बल्कि शिक्षित वर्ग हो या व्यापारी कोई भी पांच एवं दस का सिक्का लेने को तैयार नहीं है, इस कारण व्यापारियों के पास करोड़ों रूपए के सिक्के जाम पड़े हैं एवं उन्हें आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। यही नहीं बैंकों की ओर से भी कोई न कोई बहाना बनाकर सिक्के सरकार के निर्देशों के बावजूद लेने से इंकार कर दिया जाता है, क्योंकि बैंकों के पास भी दस एवं पांच रूपए के सिक्के भरे पड़े हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।

बावजूद शर्त रखी जाकर ग्राहक को मना किया
एक उपभोक्ता द्वारा भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा जगदलपुर से एक रूपए की पूरी थैली (2500 सिक्के) की मांग की गई। तो उपभोक्ता को बताया गया कि एक रूपए की थैली के थैली के साथ आपको ५ रुपए की (2500 सिक्के) लेने पर ही दी जा सकेगी अन्यथा नहीं। कैसी विडंबना है कि सिक्के उपलब्ध होने के बावजूद शर्त रखी जाकर ग्राहक को मना किया गया।

्छोटे नोटों को भी अर्थव्यवस्था में उतनी ही महत्ता है
इन सारी अव्यवस्था के लिए लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक की भी अपनी मौन स्वीकृति है। अन्यथा लोगों को हो रही तकलीफों के लिए समय पर जरूर उचित कदम उठाती। छोटे नोटों को भी अर्थव्यवस्था में उतनी ही महत्ता है, जितना बड़े नोटो का। इस तरह छोटे नोंट प्रचलन से बाहर करने का कुचक्र चल रहा है, जो पीड़ा दायक है। पचास पैसा का सिक्का भारतीय रिजर्व बैंक के लिए वैधानिक मुद्रा के रूप में चलन में है यह जानकर आपको सुखद आश्चर्य हो कि ५० पैसा का सिक्का बस्तर अंचल में पिछले ५-६ सालों से चलन के बाहर है।

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