जगदलपुर

शायद आप भी नहीं जानते होंगे बस्तर दशहरा की इस अनोखी रस्म के बारे में

75 दिनों तक चलने वाले इस विश्वप्रसिद्ध बस्तर दशहरा में बहुत सारी रस्में निभाई जाती है।

जगदलपुरSep 18, 2018 / 09:55 am

Badal Dewangan

शायद आप भी नहीं जानते होंगे बस्तर दशहरा की इस अनोखी रस्म के बारे में

जगदलपुर. बस्तर दशहरा पर्व के आयोजन की तैयारियों को लेकर सोमवार को कलक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में समिति व प्रशासन की एक समन्वित बैठक हुई। बैठक में 75 दिन तक चलने वाले दशहरा पर्व के आयोजन के तैयारियों के संबंध में चर्चा हुई।

परम्परा के अनुरूप अपने योगदान के रूप में एक रूपया एवं एक लोटा चांवल
बैठक में आयोजन समिति के पदेन अध्यक्ष सांसद दिनेश कश्यप ने मांझी-चालकी, मेम्बर-मेम्बरीन और पुजारियों से दशहरा पर्व आयोजन के संबंध में विचार-विमर्श किया। उन्होंने बैठक में उपस्थित मांझी-चालकी, पुजारी और मेम्बर-मेम्बरीन से दशहरा पर्व के लिए परम्परा के अनुरूप अपने योगदान के रूप में एक रूपया एवं एक लोटा चांवल देने की बात कही।

75 दिवसीय बस्तर दशहरा की शुरुआत
हरियाली अमावस्या पर दंतेश्वरी मंदिर में पहली रस्म पाट जात्रा पूजा विधान पूर्ण की जाती है। इसी के साथ ही 75 दिवसीय बस्तर दशहरा की शुरुआत होती है। बिलोरी ग्राम से लाए गए साल की लकड़ी ठुरलु खोटला की लाई, फूल, सिंदूर, चावल, केला, मोंगरी मछली, अंडा, बकरा अर्पित कर पूजा पाठ की जाती है । रथ बनाने वाले लकड़ी में कील लगाकर बस्तर दशहरा की शुरुआत की जाती है।

पाठ जात्रा का अर्थ
इस रस्म में लकड़ी की पूजा की जाती है। बस्तर के आदिवासी अंचल में लकड़ी को अत्यंत पवित्र माना जाता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक लकड़ी मनुष्य के काम आती है। इसलिए आदिवासी संस्कृति में इसका विशिष्ट स्थान है। बस्तर दशहरा देवी की आराधना का पर्व है।

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