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कोलेंग रेंज में भ्रष्टाचार हद से पार, सडक़ पर दिखा काम, जंगल में उन्हीं पेड़ों को काटा, जिन्हें बचाने लगाया जा रहा तार……

locationजगदलपुरPublished: May 28, 2020 12:41:41 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

नेतानार से कोलेंग जाने वाले रास्ते पर होना है वृक्षारोपण जिसके लिए 40 एकड़ क्षेत्र में की गई है फेंसिंग
 

कोलेंग रेंज में भ्रष्टाचार हद से पार, सडक़ पर दिखा काम, जंगल में उन्हीं पेड़ों को काटा, जिन्हें बचाने लगाया जा रहा तार......

कोलेंग रेंज में भ्रष्टाचार हद से पार, सडक़ पर दिखा काम, जंगल में उन्हीं पेड़ों को काटा, जिन्हें बचाने लगाया जा रहा तार……

जगदलपुर। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के कोलेंग रेंज में नियम और कानून को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। काम इतनी सफाई से हो रहा है कि बाहर से देखने वाले को लगे कि सब ठीक है लेकिन जब मामले की तह तक जाया जाता है तो मालूम होता है कि कितने व्यापक स्तर पर जंगल को नुकसान पहुंचाकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। २७ मई के अंक में ‘पत्रिका’ ने अपने पाठकों को बताया कि किस तरह से कोलेंग रेंज में जंगल के पत्थरों से ही सडक़ निर्माण का काम किया जा रहा है जो कि नियम विरूद्ध है। आज आप फिर जंगल को हो रहे नुकसान के बारे में पढ़ेंगे। दरअसल कोलेंग रेंज में नेतनार और कोलेंग के बीच करीब ४० एकड़ क्षेत्र में वृक्षारोपण किया जाना है। इसके लिए पूरे क्षेत्र को फेंसिंग कर घेरा गया है ताकि वहां मवेशी ना जा सकें और पौधरोपण सफल हो सके।

कोलेंग रेंज के भीतर हर काम जंगल के मटेरियल से ही हो रहा
लेकिन कांगेर घाटी और कोलेंग रेंज के भ्रष्ट अफसरों ने इस काम में भी लाखों के वारे-न्यारे कर लिए। दरअसल फेंसिंग के लिए नीलगिरी की बल्ली का इस्तेमाल होना चाहिए लेकिन सिर्फ सडक़ किनारे नीलगिरी का इस्तेमाल किया गया। बाहर से देखने पर सबकुछ बिल्कुल सही लगता है लेकिन जब सडक़ से १०० मीटर अंदर जाते ही भ्रष्टाचारियों की पोल खुल जाती है। नीलगिरी की जगह बड़ी-बड़ी बल्ली दिखती है जो कि जंगल के ही पेड़ों को काटकर तैयार की गई है। पेड़ों के काटे जाने के साक्ष्य भी मौके पर मिल जाते हैं। मिली जानकारी के अनुसार २५० नीलगिरी की बल्ली ही खरीदी गई बाकी के काम के लिए जंगल की लकड़ी इस्तेमाल हुई। इस तरह देखें तो रेंजर आरडी नागर की निगरानी में कोलेंग रेंज के भीतर हर काम जंगल के मटेरियल से ही हो रहा है।


फेसिंग ऐसी कि मवेशियों को रोकना असंभव
मुख्य सडक़ से करीब १०० मीटर चलकर ‘पत्रिका’ टीम जब जंगल के अंदर दाखिल हुई तो मालूम चला कि फेंसिंग में जंगल की लकडिय़ों का इस्तेमाल हुआ है। इसके अलावा एक और चीज देखने में आई कि फेंसिंग करने में भी लापरवाही बरती गई है, फेंसिंग जगह-जगह से ढीली पड़ चुकी है और इससे मवेशी पार होकर उस जगह तक आसानी से जा रहे हैं जहां वृक्षारोपण होना है। ऐसे फेंसिंग के औचित्य और आगामी दिनों में होने वाले पौधरोपण पर भी सवाल उठता है।

वन अधिनियम में दोषी को जेल का प्रावधान
वन मामलों के जानकार बताते हैं कि वन अधिनियम १९२७ के तहत अगर कोई व्यक्ति या उसके संरक्षण में पेड़ों की कटाई की जाती है तो उस पर धारा ३० के तहत मामला बनता है और इस धारा के तहत जेल का भी प्रावधान है। राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में वन अधिनियम और भी ज्यादा सख्त है और इस लिहाज से कोलेंग क्षेत्र में जिस तरह से भ्रष्टाचार करते हुए जंगलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, उसमें अगर निष्पक्ष जांच होती है तो दोषियों का जेल जाना भी तय है।

कोलेंग रेंज में भ्रष्टाचार हद से पार, सडक़ पर दिखा काम, जंगल में उन्हीं पेड़ों को काटा, जिन्हें बचाने लगाया जा रहा तार......
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