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काला झंडा फहराने की थी सूचना, आधी रात माओवादियों की मांद में घुसे जवान, तीन गांव में सात जगह फहराया तिरंगा

locationजगदलपुरPublished: Aug 17, 2019 12:15:03 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर माओवादी (Naxalite) अपने प्रभाव वाले इलाकों में लोकतंत्र का विरोध करते हुए काला झंडा फहराते (hoisted Black Flag) हैं।

independence day 2019

काला झंडा फहराने की थी सूचना, आधी रात माओवादियों की मांद में घुसे जवान, तीन गांव में सात जगह फहराया तिरंगा

शेख तैय्यब ताहिर/ तपन यादव-जगदलपुर. स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर माओवादी अपने प्रभाव वाले इलाकों में लोकतंत्र का विरोध करते हुए काला झंडा फहराते हैं। इसी तरह बारसूर इलाके में हर्राकोड़ेर, पिच्चीकोडेर, एरपुंड, मालेवाही और पुषपाल जैसे इलाके में काला झंडा फहराने की फिराक में थे। जवानों को इसकी सूचना बुधवार की रात लगी। इसके बाद बिना देरी किए जवानों की टीम इन गांव से लगे जंगलों में घुसी। रातभर सर्चिंग के बाद जब माओवादियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। उसके बाद जवान यहां से लगे तीन गांवों में पहुंचे और यहां सात जगह तिरंगा फहराया।

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इस ऑपरेशन को लीड करने वाले 192 बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट राजीव सिंह ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि बुधवार की देर रात उन्हें माओवादियों के काला झंडा फहराने की पक्की जानकारी मिली थी। क्योंकि स्वतंत्रता दिवस था, इसलिए वे नहीं चाहते थे कि इन इलाकों में काला झंडा फहरे। इसलिए आधी रात ही ऑपरेशन लांच किया गया। जवानों का कहा गया कि अबूझमाड़ से सटे सारे इलाके में वे मुस्तैद रहें, ताकि माओवादी यहां से बाहर न आ सकें। वे रातभर जवानों के साथ यहीं मुस्तैद रहे। सुबह जब ७ बज गया और यह तय हो गया कि अब माओवादी नहीं आएंगे। एसे में यहां से सटे गांव में पहुंचे, यहां स्वतंत्रता दिवस की तैयारी चल रही थी। एेसे में वे भी इस जगह शामिल हुए और यहां के तीन जगहों में शांतिपूर्वक तिरंगा लहराया।

हाल ही में आईईडी विस्फोट में एक जवान की हुई थी मौत
माओवादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस धीरे-धीरे कैंप खोल रही है। पिछले एक साल में यहां तीन कैंप खोले गए। इसमें मालेवाही और पुषपाल शामिल हैं। साथ ही सडक़ निर्माण का भी काम चल रहा है। हाल ही मं यहां सडक़ निर्माण को सुरक्षा देने निकली आरओपी पार्टी को माओवादियों ने निशाना बनाने आईईडी विस्फोट किया था, जिसमें एक जवान की मौत हो गई थी। इसके बाद से इलाके में माओवादी दहशत काफी बढ़ गई थी। एेसे में माओवादी काला झंडा फहरा देते तो इस इलाके में वह अपनी और मजबूत उपस्थिति मौजूद करा देते, हालांकि जवानों की मुस्तैदी की वजह से वे सफल नहीं हो सके।

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अबूझमाड़ का दक्षिणी प्रवेश द्वारा वाला है यह इलाका
दअरसल यह इलाका अबूझमाड़ का दक्षिणी प्रवेश द्वार है। साथ ही पुषपाल, हर्राकोडेर जैसे गांव इसके अंतिम गांव हैं। यहां से अबूझमाड़ की सीमा शुरू होती है। सघन जंगल होने की वजह से यहां माओवादियों दबदबा है। जो धीरे धीरे कैंप खुलने से सिमटता जा रहा है। इसलिए माओवादी पुषपाल से आगे सडक़ बनने नहीं देना चाहते और वह कभी विस्फोट तो कभी निर्माण काम में लगे वाहनों को आग के हवाले करके उन्हें आगे बढऩे से रोकने, अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने के साथ ही लोों में दहशत फैलाने की कोशिश में रहते हैं।

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