स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी ये 10 रोचक तथ्य जो आप नहीं जानते होंगे, जिसे जानना भी आपके लिए जरूरी है
इस ऑपरेशन को लीड करने वाले 192 बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट राजीव सिंह ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि बुधवार की देर रात उन्हें माओवादियों के काला झंडा फहराने की पक्की जानकारी मिली थी। क्योंकि स्वतंत्रता दिवस था, इसलिए वे नहीं चाहते थे कि इन इलाकों में काला झंडा फहरे। इसलिए आधी रात ही ऑपरेशन लांच किया गया। जवानों का कहा गया कि अबूझमाड़ से सटे सारे इलाके में वे मुस्तैद रहें, ताकि माओवादी यहां से बाहर न आ सकें। वे रातभर जवानों के साथ यहीं मुस्तैद रहे। सुबह जब ७ बज गया और यह तय हो गया कि अब माओवादी नहीं आएंगे। एसे में यहां से सटे गांव में पहुंचे, यहां स्वतंत्रता दिवस की तैयारी चल रही थी। एेसे में वे भी इस जगह शामिल हुए और यहां के तीन जगहों में शांतिपूर्वक तिरंगा लहराया।हाल ही में आईईडी विस्फोट में एक जवान की हुई थी मौत
माओवादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस धीरे-धीरे कैंप खोल रही है। पिछले एक साल में यहां तीन कैंप खोले गए। इसमें मालेवाही और पुषपाल शामिल हैं। साथ ही सडक़ निर्माण का भी काम चल रहा है। हाल ही मं यहां सडक़ निर्माण को सुरक्षा देने निकली आरओपी पार्टी को माओवादियों ने निशाना बनाने आईईडी विस्फोट किया था, जिसमें एक जवान की मौत हो गई थी। इसके बाद से इलाके में माओवादी दहशत काफी बढ़ गई थी। एेसे में माओवादी काला झंडा फहरा देते तो इस इलाके में वह अपनी और मजबूत उपस्थिति मौजूद करा देते, हालांकि जवानों की मुस्तैदी की वजह से वे सफल नहीं हो सके।
बस्तर के अंदरूनी इलाकों में आज भी चालू है दोहरी सरकार, फहराया गया दो झंडा एक तिरंगा और एक…
अबूझमाड़ का दक्षिणी प्रवेश द्वारा वाला है यह इलाका
दअरसल यह इलाका अबूझमाड़ का दक्षिणी प्रवेश द्वार है। साथ ही पुषपाल, हर्राकोडेर जैसे गांव इसके अंतिम गांव हैं। यहां से अबूझमाड़ की सीमा शुरू होती है। सघन जंगल होने की वजह से यहां माओवादियों दबदबा है। जो धीरे धीरे कैंप खुलने से सिमटता जा रहा है। इसलिए माओवादी पुषपाल से आगे सडक़ बनने नहीं देना चाहते और वह कभी विस्फोट तो कभी निर्माण काम में लगे वाहनों को आग के हवाले करके उन्हें आगे बढऩे से रोकने, अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने के साथ ही लोों में दहशत फैलाने की कोशिश में रहते हैं।