अब अधर में जांच
इस तमाम प्रयास के बाद हिलोरी में फर्जी ग्राम सभा मामले की जांच अब अधर में लटक गई है। एक तरफ प्रशासन सचिव के न आने पर अड़ा है तो दूसरी तरफ ग्रामीण बिना सचिव के जांच न होने देने के बात कह रहे हैं। ऐसे में जांच अधर में लटकती नजर आ रही है। ऐसे में इस मामले का हाल भी बस्तर के ताड़मेटला, झीरम घटना जैसे जांच की श्रेणी में आने चर्चा तेज हो गई है।
जान के डर से सचिव ने पहले ही प्रशासन से कहा था कि वह नहीं जाएगा गांव
प्रशासनिक सूत्रों की माने तो सचिव ने जिला प्रशासन के सामने पहले ही आवेदन दे दिया था कि उसकी जान को खतरा है और वह इस ग्रामसभा की जांच के लिए बनी टीम के साथ गांव नहीं जाएगा। यही कारण रहा कि जब एसडीएम के नेतृत्व में जांटी टीम ग्राम हिलोरी पहुंची तो उनके साथ सचिव मौजूद नहीं था। इसी बात को लेकर ग्रामीणों ने भी जांच टीम से सवाल किया और अंत में इसी बिंदू पर टीम और ग्रामीणों के बीच ठन गई और जिला प्रशासन को उलटे पांव लौटना पड़ा। इधर ग्रामसभा में पहुंचने वालों की सुरक्षा व्यवस्था करना पुलिस व प्रशासन के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है।
संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति ने बीच का रास्ता निकालने की थी कोशिश
गौरतलब है कि अडानी ग्र्रुप के विरोध में बैलाडिला में संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति ने आंदोलन छेड़ रखा था। जांच टीम पहुंचने के पहले यह लोग ग्राम हिलोरी में मौजूद थे। जब जांच टीम पहुंची तो सचिव के मौजूद न होने पर ग्रामीणों ने नाराजगी जाहिर की और टीम के जांच के निवेदन को ठुकरा दिया। इस बीच काफी देर तक दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दौर चलता रहा। इसी दौरान पंचायत संघर्ष समिति के लोगों ने जांच की महत्ता को समझते हुए बीच का रास्ता निकालते हुए जांच करने का निवेदन ग्रामीणों से किया। लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बाद पंचायतों ने भी तर्क को सही माना और सचिव की मौजूदगी को जरूरी बताया।
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