scriptहिरोली पंचायत मामला : ग्रामीणों ने कहा, जब तक वो भगौड़ा सचिव नहीं आ जाता तब तक…… | police officer is on NMDC farji gramsabha matter, secretary not there | Patrika News

हिरोली पंचायत मामला : ग्रामीणों ने कहा, जब तक वो भगौड़ा सचिव नहीं आ जाता तब तक……

locationजगदलपुरPublished: Jun 26, 2019 11:44:13 am

Submitted by:

Badal Dewangan

ग्रामीणों की दो टूक, कहा पुलिस बल की मौजूदगी में सचिव को कैसा जान का खतरा, वह आए और बताए कहां हुई थी ग्रामसभा

farji gramsabha

हिरोली पंचायत मामला : जब तक वो भगौड़ा सचिव नहीं आ जाता तब तक……

जगदलपुर. अडानी ग्रुप को बैलाडिला के डिपॉजिट नंबर 13 आबंटित करने मामले में ग्राम हिलोरी पंचायत में हुई कथित फर्जी ग्रामसभा की जांच कमेटी को ग्रामीणों ने उलटे पांव मंगलवार लौटा दिया है। इसके बाद पत्रिका से विशेष बातचीत में ग्रामीणों ने साफ कहा कि जब तक सचिव यहां नहीं आता तब तक जांच आगे नहीं बढ़ सकती। उन्होंने कहा कि जब जांच टीम से बात हुई तो उन्होंने बातों बातों में उसकी जान को खतरा बताया। ग्रामीणों ने इसे लेकर कहा कि जब गांव तक सुरक्षा बलों के जवान, जिला प्रशासन के अधिकारी और खुद एसपी तक आ सकते हैं तो सचिव क्यों नहीं? इन्हें भी जान का खतरा है। जिला प्रशासन यदि वाकई इस मामले की पारदर्शी तरीके से जांच करना चाहती है तो जांच के दौरान सचिव की मौजूदगी जरूरी है। सचिव के गांव में रहने के बाद ग्रामसभा किस जगह हुई थी, उसमें कौन-कौन शामिल था, ग्राम पंचायत किसके आदेश के बाद हुई, उसने कब अनुमति ली थी जैसे सवालों के जवाब ग्रामीणों को और जिला प्रशासन को मिल सकेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि आखिरकार इस फर्जी ग्रामसभा के पीछे किसका हाथ है वह भी सचिव ही बता सकता है, इसलिए उसका यहां आना जरूरी है।

फर्जी ग्रामसभा की बात निकली ही थी कि, आंदोलन के पहले ही दिन भाग गया सचिव

अब अधर में जांच
इस तमाम प्रयास के बाद हिलोरी में फर्जी ग्राम सभा मामले की जांच अब अधर में लटक गई है। एक तरफ प्रशासन सचिव के न आने पर अड़ा है तो दूसरी तरफ ग्रामीण बिना सचिव के जांच न होने देने के बात कह रहे हैं। ऐसे में जांच अधर में लटकती नजर आ रही है। ऐसे में इस मामले का हाल भी बस्तर के ताड़मेटला, झीरम घटना जैसे जांच की श्रेणी में आने चर्चा तेज हो गई है।

जान के डर से सचिव ने पहले ही प्रशासन से कहा था कि वह नहीं जाएगा गांव
प्रशासनिक सूत्रों की माने तो सचिव ने जिला प्रशासन के सामने पहले ही आवेदन दे दिया था कि उसकी जान को खतरा है और वह इस ग्रामसभा की जांच के लिए बनी टीम के साथ गांव नहीं जाएगा। यही कारण रहा कि जब एसडीएम के नेतृत्व में जांटी टीम ग्राम हिलोरी पहुंची तो उनके साथ सचिव मौजूद नहीं था। इसी बात को लेकर ग्रामीणों ने भी जांच टीम से सवाल किया और अंत में इसी बिंदू पर टीम और ग्रामीणों के बीच ठन गई और जिला प्रशासन को उलटे पांव लौटना पड़ा। इधर ग्रामसभा में पहुंचने वालों की सुरक्षा व्यवस्था करना पुलिस व प्रशासन के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है।

संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति ने बीच का रास्ता निकालने की थी कोशिश
गौरतलब है कि अडानी ग्र्रुप के विरोध में बैलाडिला में संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति ने आंदोलन छेड़ रखा था। जांच टीम पहुंचने के पहले यह लोग ग्राम हिलोरी में मौजूद थे। जब जांच टीम पहुंची तो सचिव के मौजूद न होने पर ग्रामीणों ने नाराजगी जाहिर की और टीम के जांच के निवेदन को ठुकरा दिया। इस बीच काफी देर तक दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दौर चलता रहा। इसी दौरान पंचायत संघर्ष समिति के लोगों ने जांच की महत्ता को समझते हुए बीच का रास्ता निकालते हुए जांच करने का निवेदन ग्रामीणों से किया। लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बाद पंचायतों ने भी तर्क को सही माना और सचिव की मौजूदगी को जरूरी बताया।

पढि़ए NMDC के खदान नंबर १३ नंदराज पहाड़ को बचाने आदिवासियों के आंदोलन से जुड़ी सारी खबरें

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो