इस दौरान परम्परागत खेलकर सभी आगन्तुकों ने बचपन की यादे ताजा किया। उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन द्वारा प्रतिस्पर्धाओं में पुराने खेल व पारम्परिक खेलों को शामिल किया गया था। वहीं महिलाओं के लिए साईकिल रैली, रंगोली, केश सज्जा, मेहंदी, सलाद सजावट, चित्रकला, केक सजावट प्रतियोगितायें आयोजित किया गया। वर्तमान में आधुनिक तकनीको से युक्त विभिन्न इलेक्ट्रांनिक खेलों का अपना महत्व है और नयी पीढ़ी उन्हे पसन्द भी करती है परंतु परम्परागत खेल भी कम मनोरंजक नही थे और तो और आधुनिक खेलो ने जहां बचपन को एक कमरे में सीमित कर दिया है।
एक दिवसीय इस स्पर्धा के दौरान जनप्रतिनिधीा एंव अधिकारी भी अपने आप को खेलने से रोक नही सके नान अध्यक्ष लता उसेंडी ने गुल्ली डण्डा खेलने की कोशिश की वहीं कलेक्टर नीलकण्ठ टेकाम ने तीरन्दाजी पर निशाना साधा विधायक भी पीछे नही रहे उन्होने भौरा और कंचे खेल कर अपनी उपस्थिति दिखायी । इस दौरान चर्चा करते हुए लता उसेण्डी ने कहा कि राज्योत्सव के अवसर पर पारम्परिक खेलो का आयोजन सराहनीय है खेल व्यक्तित्व के विकास में सहायक होते है। और पुराने खेल मनोरंजन एंव स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छे माने गये हैे।
बच्चो में अनुशासन हेतु खेल आवश्यक है खेल मे जीत हार से अधिक भागीदारी करना ज्यादा महत्वपुर्ण है। विधायक ने पढ़ाई के साथ खेल के महत्व को दर्शाते हुए कहा कि जहां पाठ्य पुस्तक सैद्धातिंक ज्ञान प्रदान करते है।कलेक्टर कहा कि राज्योत्सव पर खेल स्पर्धाओ का आयोजन किया जा रहा है। परम्परागत खेल किसी भी मायने नवीन खेलो से कम मनोरंजक नही है। इसके अलावा लुप्त प्राय खेलो से नवीन पीढ़ी को परिचय कराना भी इसका उद्ेश्य है।