क्वारेंटाइन सेंटर में कहीं पेयजल, तो कहीं शौचालय की समस्या
क्वारेंटाइन सेंटर में अव्यवस्थाओं का आलम बना हुआ है। कहीं पेयजल, तो कहीं शौचालय की समस्या बनी हुई है। छिंदावाड़ा स्थिति डीएवी स्कूल में रेड जोन से आने वाले श्रमिकों को रोकने के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। यहां पर करीब १२९ श्रमिक रूके हुए हैं। १० मई से श्रमिकों यहां पर ठहराया जा रहा है। श्रमिकों ने बताया कि शुरुआत में यहां पर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं था। शौचालय भी चोक हो गया था। ऐसे में नाहने और शौच के लिए बाहर जाना पड़ता था। इसी प्रकार की स्थिति तिरथगढ़ वाटर फॉल के पास बने क्वारेंटाइन सेंटर की है। यहां पर कई शौचालय बंद पड़े हुए हैं। पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में मजदूर क्वारेंटाइन सेंटर के बाहर रखे हुए टैंकर से पानी भरते हैं।
मजदूरों के जांच के लिए भी नहीं पहुंच रही स्वास्थ्य विभाग की टीम
क्वारेंटाइन सेंटर में बाहर से आने वाले मजदूरों की जांच के लिए भी स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंच रही हैं। मिली जानकारी के अनुसार तीरथगढ़ क्वारेंटाइन सेंटर में अब तक सिर्फ एक बार ही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी गए हैं। वहीं यहां पर किसी भी श्रमिकों का न तो सैंपल लिया गया है और न ही कोरोना रैपिड जांच किट से जांच किया गया है। इसी प्रकार की स्थिति छिंदावाड़ा गांव के बालक आश्रम की है। यहां पर करीब ३८ श्रमिक हैं। इसमें करीब ३४ महिलाएं और बच्चे हैं। यहां पर भी अब तक एक बार ही स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची है। इसके बाद अब तक इन श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं किया गया है। यहां पर रूके श्रमिकों ने बताया कि कुछ लोगों की तबियत भी खराब है। यहां पर रूके हुए अधिकारियों को बताने के बाद भी जांच के लिए कोई स्वास्थ्य कर्मी पहुंचा और न ही किसी प्रकार की दवाई दी गई।
क्वारेंटाइन सेंटर के आसपास के ग्रामीणों में कोरोना का भय
दरभा ब्लॉक में रेड जोन से आने वाले श्रमिकों को रखा गया है। इसके बाद प्रशासन क्वारेंटाइन की व्यवस्था को लेकर लापरवाही बरत रहा है। क्वारेंटाइन सेंटर के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि दूसरे राज्यों से आने वाले श्रमिक बेधड़क बाहर घूमते रहते हैं। जिम्मेदार अधिकारियों को लगातार शिकायत के बाद भी इस मामले पर कोई पहल नहीं किया जा रहा है। अधिकारी भी निरीक्षण करने नहीं आते हैं। वहीं यहां पर अधिकांश श्रमिक तेलंगाना और आंध्रप्रदेश से आए हैं। रेड जोन से आने वाले श्रमिकों के लिए अलग से क्वारेंटाइन सेंटर तो बनाया गया है, लेकिन वहां पर सुविधाओं के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दिया गया है।