प्रशासन ने जिले को शौच मुक्त करवा एक बार फिर दिल्ली में अपना स्थान बनाया है। केंद्र सरकार ने भी 30 पंचायतों को एलडब्लूई की श्रेणी में रखी पंचायतों को जल्द ओडीएफ कराने के लिए बोला है। लेकिन एक बात साफ हो गई जिले की 30 से 35 हजार की आबादी घोर माओवाद के साए में जी रही है। इन पर माओवादी दहशत और उनकी हुकूमत है। विकास के सूरज किरण इन पंचायतों में अभी नहीं पहुंची है।
जिले में 124 पंचायतें है। कटेकल्याण की 15 पंचायत, कुआकोंडा की 12 और जिला मुख्यालय की तीन और गीदम ब्लॉक में इंद्रावती नदी उस पार की पंचायत शौच मुक्त नहीं हुई है। इन पंचायतों के लिए प्रशासन ने पुरजोर प्रयास किए हैं, लेकिन वक्त क हवाला दिया है। कहा है कि 2018 तक इन पंचायतों को भी शौचमुक्त किया जाएगा। बता देें ये वो इलाका है जहां माओवादियों की तूती बोलती है। तेलम, टेटम, एड़पाल, बड़ेगुडरा, छोटेगुडरा, चिकपाल, मारजूम, जंगमपाल, बुरगुम, नहाड़ी, ककाड़ी, गुमियापाल, चेरपाल, तुमरीगंडा जैसे गांव कटेकल्याण और कुआकोंडा ब्लॉक के है। ये गांव कई माओवादी मुठभेड़ के साक्षी है। दंतेवाड़ा की महज तीन पंचायतें है।