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पीएम मोदी के स्वच्छ भारत में लाल आतंक का साया, पढ़ें क्या है पूरी खबर

locationबस्तरPublished: Nov 03, 2017 08:47:03 pm

Submitted by:

ajay shrivastav

राज्य सरकार ने केंद्र को बताया 30 पंचायतें हैं पहुंच विहीन व माओवाद प्रभावित, शौचालय बनाना है चुनौती।

यह जिला शौच मुक्त घोषित, उपराष्ट्रपति से मिला 2017 अवॉर्ड

यह जिला शौच मुक्त घोषित, उपराष्ट्रपति से मिला 2017 अवॉर्ड

दंतेवाड़ा. दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा जिले को शौचमुक्त होने का अवॉर्ड मिला है। राज्योत्सव में उपरष्ट्रपति वंकैया नायडू ने कलक्टर सौरभ कुमार और जिला पंचायत सीईओ को सम्मानित किया है। 124 पंचायतों में 94 पंचायत ओडीएफ हुई। 30 पंचायत माओवाद प्रभावित और पहुंच विहीन बताई गई। पीएम मोदी का सबसे बड़ा अभियान शौचमुक्त को जिला प्रशासन ने सफल बनाया है। कठनाईयों से जूझने के बाद जिला पंचायत ने इसे साकार कर दिया। बताया जा रहा है कि जिले में जितनी पंचायतें शौचमुक्त हुई है, उनकी रिपोर्ट शासन ने केंद्र सरकार को भेजी।
इस रिपोर्ट में साफ कहा है कि जिले की 30 पंचायतों को ओडीएफ करना बड़ा चुनौती है। ये पंचायतें पहुंच विहीन है। सड़क न होना और नदी नालों को पार कर सामाग्री को आसानी से नहीं पहुंचाया जा सकता है। ये 30 पंचायत को एलडब्लूई में खुद जिला प्रशासन ने रखा है। 94 पंचायतों को ओडीएफ कर दिया गया है। जिले को ओडीएफ होने का गौरव प्राप्त हो गया है। राज्य में 13 जिलों में से एक दंतेवाड़ा भी इस सूची में शामिल हो गया है।
… तो 30 से 35 हजार की आबादी माओवाद के साए में
प्रशासन ने जिले को शौच मुक्त करवा एक बार फिर दिल्ली में अपना स्थान बनाया है। केंद्र सरकार ने भी 30 पंचायतों को एलडब्लूई की श्रेणी में रखी पंचायतों को जल्द ओडीएफ कराने के लिए बोला है। लेकिन एक बात साफ हो गई जिले की 30 से 35 हजार की आबादी घोर माओवाद के साए में जी रही है। इन पर माओवादी दहशत और उनकी हुकूमत है। विकास के सूरज किरण इन पंचायतों में अभी नहीं पहुंची है।
कटेकल्याण और कुआकोंडा अधिक प्रभावित
जिले में 124 पंचायतें है। कटेकल्याण की 15 पंचायत, कुआकोंडा की 12 और जिला मुख्यालय की तीन और गीदम ब्लॉक में इंद्रावती नदी उस पार की पंचायत शौच मुक्त नहीं हुई है। इन पंचायतों के लिए प्रशासन ने पुरजोर प्रयास किए हैं, लेकिन वक्त क हवाला दिया है। कहा है कि 2018 तक इन पंचायतों को भी शौचमुक्त किया जाएगा। बता देें ये वो इलाका है जहां माओवादियों की तूती बोलती है। तेलम, टेटम, एड़पाल, बड़ेगुडरा, छोटेगुडरा, चिकपाल, मारजूम, जंगमपाल, बुरगुम, नहाड़ी, ककाड़ी, गुमियापाल, चेरपाल, तुमरीगंडा जैसे गांव कटेकल्याण और कुआकोंडा ब्लॉक के है। ये गांव कई माओवादी मुठभेड़ के साक्षी है। दंतेवाड़ा की महज तीन पंचायतें है।
जिला पंचायत सीईओ गौरव कुमार सिंह ने बताया कि जितनी पंचायतों को आसानी से किया जा सकता था, उनको ओडीएफ कर लिया गया है। जिले में कई पंचायतें दुर्गम क्षेत्र में है। कुछ एलडब्लूई में आती है। यह रिपोर्ट भारत सरकार को दे दी है। अब इन पंचायतों के लिए आने वाले समय में बड़े टास्क के रूप में काम किया जाएगा।
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