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विभिन्न अवसरों में घर-घर जाकर बधाई बांटनें वाली किन्नर रजनी इस वैश्विक महामारी में बांट रही जरूरत का सामान

locationजगदलपुरPublished: Apr 02, 2020 06:17:21 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

रजनी के इस तरह से राशन वितरण करने को लेकर कई लोग उसे आश्चर्य से देखते रहे, लेकिन रजनी अपने साथियों के साथ वितरण करने में जुटी रही।

विभिन्न अवसरों में घर-घर जाकर बधाई बांटनें वाली किन्नर रजनी इस वैश्विक महामारी में बांट रही जरूरत का सामान

विभिन्न अवसरों में घर-घर जाकर बधाई बांटनें वाली किन्नर रजनी इस वैश्विक महामारी में बांट रही जरूरत का सामान

कोण्डागांव. सालभर दूसरों के घर-घर जाकर विभिन्न अवसरों पर बधाई बांटने वाली किन्नर रजनी ने वैश्विक माहामारी के इस दौर में, बिना किसी से सहयोग लिए स्वयं व अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर जिला मुख्यालय कोण्डागांव के कुछ गरीब बस्तियां में पहुंचकर ऐसे लोगों को राशन वितरण कर रही है, जो रोजाना मजदूरी कर कमाने-खाने वाले है। और इस महामारी व लॉकडाउन के चलते इनके काम बंद हो चुके है। इसे देखते हुए उन्होने चावल, दाल, आलू, बड़ी सहित अन्य समानों का पैकेट अपने घर पर ही बना लिया और बकायदा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से मिलकर इन पैकेटों को गरीबों के घरों पहुंचाने की मौखिक अनुमति मांगी अनुमति मिलते ही रजनी अपने अन्य साथियों के साथ निचली बस्तियों में पहुंच राशन भरे पैकेटों का वितरण करने लगी।

राशन व गर्म भोजन आदि के पैकेट गरीब परिवारों तक पहुंचा रहे
रजनी के इस तरह से राशन वितरण करने को लेकर कई लोग उसे आश्चर्य से देखते रहे, लेकिन रजनी अपने साथियों के साथ वितरण करने में जुटी रही। इस वैश्विक महामारी के दौर में हरवर्ग के लोग एक दूसरे का सहयोग करने आगे बढ़ रहे है। कोई आर्थिकरूप से तो केई राशन व गर्म भोजन आदि के पैकेट गरीब परिवारों तक पहुंचा रहा है। ताकि सभी इस लॉकडाउन के दौरान अपने घरों पर ही रहे और वैश्विक माहमारी कोविड-19 से मुकाबला करने में शासन-प्रशासन का सहयोग करते रहे।

ताकि गरीबों के घर के भी जल सके चुल्हा
किन्नर रजनी यादव ने बातया कि, जब वे टीवी और अखबारो के माध्यम से कोविड-19 के कहर के बाद लॉकडाउन की सुनी तब से उनके मन में विचार आ रहा था कि, जो रोजाना कमाते और खाते है। उन लोगों का इस लॉकडाउन में क्या होगा। जब तक का राशन उनके पास होगा चुल्हा जलेगा और राशन खत्म होते ही वे परेशान हो जाएगें और लॉकडाउन में वे अपने घरों से निकल पड़ेगें। तब उन्होंने ठान लिया कि, अपने पास रखे जमा पूंजी को खर्च करने का समय आ गया है और उन्होंने किराने दुकान से चावल, दाल सहित अन्य खाद्य समान खरीदकर पैकेट बना लिया और वितरण करने निकल पड़ी। ताकि गरीब बस्तियों में चुल्हा जलते रहे।

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