इस दौरान उन्होंने यहां मरीजों के लिए बन रहे खाने का सैंपल भी निकालने के लिए कर्मचारियों से कहा और मौके पर ही इसे टेस्ट कर क्वालिटी जांचा। अच्छी बात यह रही कि खाने में उन्होंने कमी नहीं पाई और यहां सभी कर्मचारी को बेहतर काम करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि मरीजों की थाली से किसी भी तरह की उन्हें शिकायत नहीं मिलनी चाहिए यदि कोई शिकायत उनके पास आती है तो इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
2000 से अधिक चूहों को पकड़ने का दावा
मेडिकल कॉलेज में चूहों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिनको इन्हें पकड़ने का ठेका दिया गया है उन्होंने अब तक 2000 से अधिक चूहों को पकड़ने का दावा किया है। इसके बाद भी यहां चूहे करोड़ों की मशीनों से लेकर अन्य तरह का नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में अब मेकाज प्रबंधन इस बात की समीक्षा में लगा है कि क्या चूहे पकडऩे वाली एक्सपर्ट टीम पर दबाव बनाने और अधिक कर्मचारी रख मशीनों वाले वार्ड में विशेष व्यवस्था करने की तैयारी कर रही है।
सिटी स्कैन मशीनों को दो बार चूहे काट चुके
मेडिकल कॉलेज में चूहों को पकडऩे के लिए एक्सपर्ट टीम को टेंडर दिया गया है। 10 लाख लेने वाली यह टीम 1200 से अधिक चूहे पकड़ चुकी है लेकिन फिर भी मेकाज के मशीनों को चूहों से नहीं बचाया जा पा रहा है। आलम यह है कि पिछले तीन महीने में मेकाज में रखी सिटी स्कैन मशीनों को दो बार चूहे काट चुके हैं। जिसकी वजह से अभी भी सिटी स्कैन मशीन खराब पड़ी हुई है मेकाज के मरीजों को इसके लिए महारानी अस्पताल आना पड़ रहा है। ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि चूहों को पकडऩे के लिए ठेका देने के बाद भी यदि मशीनों को नुकसान हो रहा है तो इसका इसकी जिम्मेदारी किसकी है।
गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में चूहों के बढ़ते आतंक को देखते हुए इन्हें खत्म करने के लिए टेंडर निकाला गया है। कलेक्टर चंदन कुमार व मेकाज अधीक्षक ने कहा कि मेडिकल कॉलेज सह डिमरापाल अस्पताल में स्टाफ से ज्यादा संख्या में यहां चूहे है, जो मरीजों को चढ़ाए जाने वाली ग्लूकोस की बोतल चट कर जा रहे हैं। इसलिए इनका सफाया करने के लिए मेकाज अधीक्षक ने 10 लाख में एक्सपर्ट कंपनी को इसका ठेका दिया है। बताया जा रहा है कि रायपुर समेत अन्य मेडिकल कॉलेज में भी चूहों को मारने का टेंडर इन्हीं एक्सपर्ट टीम के पास है।