scriptरावघाट संघर्ष समिति ने हसदेव अरण्य बचाने दिया समर्थन | Rawghat Sangharsh Samiti gave support to save Hasdeo Aranya | Patrika News

रावघाट संघर्ष समिति ने हसदेव अरण्य बचाने दिया समर्थन

locationजगदलपुरPublished: May 10, 2022 08:58:48 pm

Submitted by:

Kunj Bihari

रावघाट संघर्ष समिति ने हसदेव अरण्य बचाने दिया समर्थन

रावघाट संघर्ष समिति ने हसदेव अरण्य बचाने दिया समर्थन

रावघाट संघर्ष समिति ने हसदेव अरण्य बचाने दिया समर्थन

नारायणपुर। हसदेव अरण्य क्षेत्र के परसा कोल ब्लाक के समर्थन में रावघाट संघर्ष समिति व आदिवासी जन वन अधिकार मंच ने अडानी कंपनी द्वारा जबरन खनन कार्य का विरोध करते हुए कहा की सरकार वर्षो से आदिवासीयों के कला संस्कृति, भाषा, बोली संरक्षण की बात करती है। लेकिन उनको उनके अधिकारों से वंचित कर कुचल रही है। वही सरकार ने वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत अनुसूचित जनजाति व अन्य परंपरागत वन निवासियों को पर्यावास अधिकार, सामुदायिक वन अधिकार, व्यक्तिगत वन अधिकार, के तहत अधिकार देने की बात करती है। वही दूसरी ओर सरकार की नजर जहां आदिवासी समुदाय वर्षों से निवासी करती आ रही है जहां जल, जंगल, जमीन, खनिज संपदा है उसे हड़पने में लगी हुई है। नियम कानून का उलंघन कर फर्जी ग्राम सभा कराकर उद्योगपतियों, कार्पोरेट कंपनियों से व्यापार का सौदा कर खदानों को बेच रही है और आदिवासी, दलितों को अपनी आस्था, संस्कृति, आजीविका से वंचित कर विस्थापित होने पर मजबूर कर रही है। आदिवासी जन वन अधिकार मंच व रावघाट संघर्ष समिति की ओर से मांग करते है कि छत्तीसगढ़ के घने जंगल में से एक हसदेव अरण्य में सरकारी ऑकड़ो के मुताबिक 95 हजार पेड़ काटने प्रस्तावित है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि कटने वाले पेड़ो की संख्या 2 लाख से अधिक होगी। हसदेव के जंगलों में बाघों और हाथियों का बसेरा है और यह जैव विविधता से भरपूर है। हसेदव अरण्य उजड़ने से सैकड़ो जनजाति परिवार के उजड़ने का खतरा मंडरा रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने कहा था कि हसदेव अरण्य को उजड़ने नही दिया जायेगा। आदिवासी जन वन अधिकार मंच व रावघाट संघर्ष समिति भूपेश सरकार से मांग करती है हसदेव अरण्य अंर्तगत पेड़ो की कटाई पर रोक लगाते हुए सदियों से निवास कर रहे आदिवासीयों को न्याय देवे। इस मौके पर सोमनाथ उसेंडी, उपाध्यक्ष लखन नुरेटी, लच्छिम दुग्गा, सतीश बुई, रमेश मण्डावी, रामसाय दुग्गा, कुशल चंदेल, बिन्देश्वर महावीर, डिगम्बर आम्डे, शंकर मातलाम, सोमजी कावड़े, नरसिंह मण्डावी, सुरज नेताम और महिलायें व पुरूष आगे आकर हसदेव अरण्य कोल मांइन्स पेड़ो की कटाई का विरोद्ध करते हुए हसदेव का समर्थन किया है।
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