अरनपुर-जगुरगुंडा सड़क जवानों के खून-पसीने के बीच हो रही तैयार, प्रशासन नियमों को शिथिल किया, पेड़ों की बलि चढ़ी, सड़क पर दरारें, फिर भी अधिकारी मौन।
जवानों की खून-पसीने व पेड़ों की बलि चढ़ाकर बन रही करोड़ों की सड़क, लेकिन बनने से पहले ही दरारेंदंतेवड़ा. सरकार ने अपने प्रचार-प्रसार के होर्डिंग्स में अरनपुर-जगुरगुंडा सड़क निर्माण को भी दर्शाया है। दावा किया है कि यहां विकास की बयार बह रही है। लेकिन निर्माण एजेंसी सरकार की बताई कहानी पर पानी फेरने में लगी हुई है। 100 करोड़ के इस प्रोजक्ट को पूरा करने के लिए जवान अपने खून-पसीने को बहा रहे हैं। इतना ही नहीं अरनपुर-जगरगुंडा सड़क निर्माण के लिए पेड़ कटाई से लेकर घाट कटिंग के मामले में नियमों को सिथिल भी किया गया है। इसके बाद ही यह सड़क निर्माण करवां कमलपोस्ट तक पहुंचा है।
दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले बहादुर एएसआई की सड़क हादसे में मौत बनने से पहले ही दिख रही दरारेंएक तरफ सड़क निर्माण हो रहा है तो पीछे से दरारें पड़ रही हैं। अधिकारी कहते है कि मामूली सी बात है बाद में रिपेयरिंग कर ठीक कर दी जाएगी। जवानच जब इस सड़क पर बड़ी-बड़ी दरारें देखते है तो उनका मन भी उदास होता है। सड़क की हालत बनने के साथ बिगड़ रही है। इन दरारों से भ्रष्टाचार की बू आती है। प्रशासनिक अधिकारी भी देख कर कई बार गुजर गए, लेकिन कोई ठोस कदम नही उठाया गया है। पीडब्लूडी विभाग के ईई जोसेफ थॉमस को फोन लगाया, लेकिन उनका स्विच ऑफ था। इस लिए उनका पक्ष नहीं आ सका।
Inspector के घर आदिवासी युवती से अनाचार का आरोपी Constable अब भी है पुलिस शिकंजे से बाहर निविदा बाद में जारी हुई घाट कटिंग हुई पहलेप्रशासन ने काम को जल्द पूरा करने के लिए और संवेदनशील क्षेत्र का हवाला देते हुए काम को निरंतर रखा। इस सड़क निर्माण के दौरान घाट कटिंग की बेहद जरूरत हुई तो, उसे पहले पूरा करवाया गया। इसके बाद करीब तीन करोड़ रूपए की निविदा जारी हुई थी। मंशा जिला प्रशासन की साफ थी किसी तरहे माओवाद की मांद को चीर कर विकास का रथ जगरगुंडा तक पहुंचे। इस सड़क निर्माण को बरसात में रोका गया था। अधिकारियों का कहना है कि अब काम शरू हो गया है।
इस खेती से जागी सैकड़ों महिलाओं में खुशहाली की उम्मीद, ढाई सौ एकड़ में लहलहा रही फसल माओवाद का टूटेगा तिलिस्मजवानों का दर्द अरनपुर-जगरगुंडा सड़क को लेकर कुछ ज्यादा ही है। इस सड़क के निर्माण के दौरान अनिगिति आईईडी बरामद की गई है। साथ ही जवानों ने अपने एक साथी को खोया और आधा दर्जन को अपाहिज होते देखा है। जवान इस सड़क पर हर रोज मौत से इस लिए जूझता है, ताकि माओवाद के इस गढ़ का तिलिस्म टूट सके। अरनपुर-जगरगुंडा माओवाद के लिए महफूज पनाहगाह माना जाता है। माओवादी संगठन के बड़े नेताओं की शरण स्थली के रूप में इस इलाके को पुलिस अधिकारी मानते हैं। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जगरगुंडा तक सड़क जैसे ही पहुंचेगी और कैं प स्थापित होगें तो तय यह इलाका जिले में सबसे ज्यादा तरक्की करेगा।