
Sawan 2024: प्रवीर वार्ड में पनारापारा स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर के उत्तर दिशा में स्वयंभू रूप में विराजे भगवान भूतेश्वर महादेव की शाही पालकी यात्रा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 5 अगस्त को श्रावण सोमवार को निकलेगी। पालकी यात्रा का मुख्य आकर्षण उनके साथ शिवगण के रूप में उत्तर प्रदेश से पहुंचा औघड़ नृतकों का नाट्य दल होगा।
Sawan 2024: भगवान भूतेश्वर अपने श्राद्धालुओं को दर्शन देने पालकी में सवार होकर नगर भृमण करेंगे। लक्ष्मीनारायण मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित किशोर तिवारी और भगवान भूतेश्वर महादेव के पुजारी पंडित चंदन तिवारी के मुताबिक भगवान भूतेश्वर महादेव की पालकी यात्रा मंदिर परिसर में विधि-विधान के साथ पूजा आरती पश्चात सुबह 11 बजे निकलेगी। पं. तिवारी ने बताया कि नगरवासियों के सामूहिक प्रयास से पालकी यात्रा को दिव्य करने मंदिर समिति के कार्यकर्ता और भगवान भूतेश्वर महादेव समिति के लोग पिछले एक माह से तैयारी में जुटे थे। रविवार की देर शाम तक अंतिम तैयारी पूरा किया गया।
पालकी यात्रा के दौरान शहर के विभिन्न चौक चौराहों में भूतेश्वर महादेव पालकी की आरती और स्वागत विभिन्न संगठनों के द्वारा की जाएगी। पालकी यात्रा के दौरान सबसे आगे एकल समूह के युवक-युवतियों का नृत्य और पूरे रास्तेभर श्राद्धालुओं को तिलकदान करते चलेंगे। ततपश्चात दो अश्व अश्व के पीछे डमरू टोली फिर नंदी महाराज,फिर भगवान भूतेश्वर महादेव की पालकी चलेगी। पालकी के पीछे धमतरी का धुमाल बेंड दल और अंत मे उत्तर प्रदेश से पहुंचा औघड़ झांकी सम्मलित रहेगी।
Sawan 2024: भगवान भूतेश्वर महादेव की शाही पालकी यात्रा लक्ष्मीनारायण मन्दिर से समुंद चौक, रोटरी चौक,पॉवर हाउस चौक,बलीराम कश्यप प्रतिमा चौक,पंचपथ से ए अहमद जी भाई किरोसिन एजेंसी से सीरासार चौक,जय स्तम्भ चौक गोलबाजार ,मुख्य मार्ग,स्टेट बैंक चौक,सीताराम शिवालय चौक,लक्ष्मी होटल तिराहा से चांदनी चौक, महारानी अस्पताल,हाई स्कूल,जिला ग्रन्थालय होते हुए हनुमान मंदिर चौक,संजय बाजार मार्ग होते मा दन्तेश्वरी मन्दिर चौक होते हुए दामोदर पेट्रोल पंप से दलपत सागर होते समुंद चौक से वापस लक्ष्मीनारायण मंदिर में महाआरती पूजा पश्चात श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण के साथ सम्पन्न होगी।
भगवान भूतेश्वर महादेव के पालकी को स्पर्श करने व उठाने पुरुषों को धोती,मातृ शक्ति को साड़ी और सूूट अनिवार्य किया गया है। आचार्य पंडित रोमितराज त्रिपाठी ने बताया भारतीय परंपरा अनुसार भगवान का स्पर्श भारतीय परिधान में प्राचीन काल से किया जा रहा है। जब भगवान के पालकी को स्पर्श करना है तो यह परम्परा आवश्यक है। साथ ही जुटा चप्पल धारण करने वाले अथवा पेंट शर्ट धारण करने वाले श्रद्धालु यात्रा में सम्मलित होंगे लेकिन पालकी को स्पर्श नही करेंगे।
Updated on:
05 Aug 2024 02:52 pm
Published on:
05 Aug 2024 02:51 pm
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