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Salary scam exposed: दो साल में शासन को दिया 66 लाख की चपत, अब खुद को बता रहे बेकसूर

locationजगदलपुरPublished: Jul 14, 2019 02:57:30 pm

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CG Desk

Scam exposed: डिमोशन आदेश ताक पर रख तोकापाल के बीईओ शासन (Chhattisgarh Government) को 66 लाख रुपए की चपत लगा कर दो साल तक 23 शिक्षकों में बांटते रहे बढ़ा हुआ वेतन।
* जिला पंचायत (CEO jila panchayat) सीईओ ने जून 2017 में ही अंग्रेजी के लिए अपात्र शिक्षकों का कर दिया था डिमोशन।

Salary scam

सैलरी स्कैम: दो साल में शासन को दिया 66 लाख की चपत, अब खुद को बता रहे बेकसूर

जगदलपुर। तोकापाल बीईओ दफ्तर में दो साल तक सैलरी के नाम पर स्कैम (Salary scam exposed) होता रहा और अब जब पत्रिका ने मामले में खुलासा किया है तो पूर्व और वर्तमान बीईओ मामले में खुद को बेकसुर बता रहे हैं। मामले में तत्कालीन बीईओ राजेश उपाध्याय और वर्तमान बीईओ रमाकांत पांडेय ने मामले में शासन को 66 लाख 24 हजार रुपए की चपत लगाई है।
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ऐसे शिक्षक जो बढ़ी हुई सैलरी की पात्रता नहीं रखते थे उन्हें भी प्रमोशन के आधार पर सैलरी बांटी गई, वो भी एक दो महीने नहीं बल्कि पूरे दो साल तक। तोकापाल बीईओ दफ्तर के सूत्रों की मानें तो राजेश उपाध्याय ने बढ़ा हुआ वेतन देना 2018 में शुरू किया। इससे पहले उन्होंने 2017 से 18 का एरियस भी शिक्षकों के खाते में डाल (Salary scam exposed ) दिया। गौरतलब है कि दो साल पहले जिला पंचायत (jila panchayat) के सीईओ प्रभात मलिक ने उन 211 शिक्षक पंचायत का डिमोशन कर दिया था जो अंग्रेजी विषय में अर्हता नहीं रखते थे।
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उस वक्त 543 शिक्षकों का प्रमोशन हुआ था, जिनमें 211 अपनी अर्हता साबित नहीं कर पाए और उनका डिमोशन हुआ। अर्हता साबित करने के लिए सभी शिक्षक पंचायत को जून 2019 तक का वक्त सीईओ ने हाई कोर्ट (high court bilaspur) के निर्देश पर दिया था। इस पूरी कार्रवाई के दौरान यानी डेढ़ वर्ष की अवधि में 211 शिक्षकों का प्रमोशन रोका गया (Salary scam exposed) था, सभी बीईओ से संबंधित शिक्षकों को बढ़ा हुआ वेतन नहीं देने और उन्हें पूर्व के पद पर यथावत रखने के लिए कहा गया था लेकिन जिले के 7 ब्लॉक में से तोकापाल ब्लॉक ही ऐसा था जहां सीईओ के आदेश को ताक पर रखकर शिक्षकों को प्रमोशन के आधार पर वेतन दिया जाता रहा।

अफसरों की गलती का खामियाजा हम क्यों भुगतें
जिन 211 शिक्षकों का डिमोशन किया गया है, उनमें से 23 शिक्षक तोकापाल के हैं। इन शिक्षकों ने पत्रिका से बातचीत करते हुए अपना पक्ष रखा और कहा कि अफसरों ने जो गलती की है, उसका खामियाजा आखिर हम क्यों भुगतें। हम तो चाहते हैं कि बाकी के ब्लॉक के शिक्षकों को भी हमारी तरह बढ़ी हुई सैलरी दी जाए। शिक्षक सुधीर दुबे और सौरभ देवांगन ने कहा कि नियम अनुसार ही उन्हें वेेतन दिया गया है। अगर इसमें कहीं भी कोई गड़बड़ी की गई है तो हम जिम्मेदार नहीं हैं।
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वेतन का बंदरबांट होता रहा और किसी को भनक तक नहीं
मामले में तत्कालीन से वर्तमान बीईओ तक वेतन का बंदरबांट करते रहे और उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी ही नही मिली। दोनों ही अफसर अपने वेतन आहरण अधिकारी का बेजा फायदा उठाते रहे और शासन को आधा करोड़ से ज्यादा का चूना लगा दिया।
इस अनियमितता (Salary scam exposed) की जब पत्रिका ने पड़ताल की तो मालूम चला कि तोकापाल के तत्कालीन बीईओ राजेश उपाध्याय के वक्त से प्रमोशन के आधार पर वेतन दिया जा रहा है। उनके बाद आए नए बीईओ रमाकांत पांडे के कार्यकाल में भी यह सिलसिला 6 महीने तक जारी रहा। ऐसे में दोनों ही अफसरों की कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में नजर आती है। मामले में दोनों ही बराबरी के भागीदार नजर आ रहे हैं।
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