दावा आपत्ति भी नहीं आई थी
इस घटनाक्रम से वे बेहद अवसाद में आ गई हैं उन्होंने कहा कि यह उनके लिए बेहद अपमानजनक अनुभव रहा। इतने साल के बाद विवि का यह व्यवहार उनकी समझ से बाहर था। इरम ने कहा कि विवि २०१४ में सही था या अब यह कैसे पता चलेगा। छह साल के बाद प्रबंधन का यह भूल सुधारना जाहिर करता है कि किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने ऐसा किया गया है। जबकि इसके लिए दावा आपत्ति भी नहीं आई थी।
परीक्षार्थियों के साथ ऐसा हुआ है उसके लिए हमें खेद भी है
इरम ने कु लाधिपति, कुलपति, मुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर अपनी व्यथा बताई है। कहा है कि जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई हो। इरम की ही तरह कविता धर, कविता शुक्ला, ज्योत्सना मिश्रा, रचना ङ्क्षसंह, डायना कपिला नाथ, अंकिता जैन, जी गोविंद राव, प्रीति पूनम, रतिना प्रिया सहित अन्य के भी प्रावीण्य सूची में बदलाव किए जाने की जानकारी मिली है। इन सभी ने कहा है कि इस मामले की पूरी जांच की जानी चाहिए। प्रेक्टिकल के अंक बाद में जोड़े गएइस मामले में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार वीके पाठक ने बताया कि पहले जो प्रावीण्य सूची जारी की गई थी, उसमें प्रेक्टिकल के मार्क नहीं जोड़े गए थे। शिकायत आने के बाद पं. रविशंकर शुक्ल विवि से भी मार्गदर्शन मांागा गया। तब जाकर संसोधित सूची जारी की गई है। जिन परीक्षार्थियों के साथ ऐसा हुआ है उसके लिए हमें खेद भी है।