१३ मार्च को दिल्ली में आयोजन से शुरू हुआ
इसका आयोजन 13 मार्च को विज्ञान भवन ,नई दिल्ली में की गई, 6 अप्रैल को लाल क़िला फिर पचास दिन के अंतराल पर असम फिर 27 मई को हैदराबाद और 21 जून को मैसूर में होगा ,जिसमें भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी शामिल होंगे ।कोरोना के बाद पहली बार पूरे जोरशोर के साथ आयोजन करने की तैयारी है ।
मंत्री सर्बानंद बोले योग विश्व प्रसिद्ध लेकिन इसे भारत से जोडक़र रखना जरूरी
आयुष मंत्रालय के मंत्री सर्बानंद सोनोवाल का कहना है कि यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वन अर्थ, वन हेल्थ यानी एक सूर्य, एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य अभियान से जुड़ा है। योग का प्रमुख लक्ष्य शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक स्वास्थ्य रखना है। इसलिए देशवासियों से योग करने की अपील की जाती है। लोगों से कहा जा रहा है कि वे योग को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। न केवल उस एक दिन बल्कि हर दिन योग को अपने जीवन में शामिल करें और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए। योग शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करने में सौ फीसद कारगर सिद्ध होता है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए भारत सरकार अपना पूरा योगदान देने के लिए तत्पर है। भारत सरकार का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित होने के बाद योग को अपनाने वालों की संख्या समूचे विश्व में बढ़ी है, लेकिन उस संख्या को भारत से जोडक़र रखना अधिक आवश्यक है। इसलिए इस साल 8वां योग दिवस मनाया जा रहा है।
यह है योग का मतलब और उसके फायदे
आयुष मंत्रालय में कार्यरत शुभम कुमार ने बताया कि योग शब्द का उद्गम संस्कृत भाषा से है और इसका अर्थ जोडऩा, एकत्र करना है। साथ ही योग विश्व को मानवता, सुख, शांति, आनंद और स्वास्थ्य का संदेश देता है। योग के कारण भारत की पहचान, उसका प्रभाव संपूर्ण विश्व पर पड़ा है। वैसे तो हर मानव की इच्छा स्वयं से और पर्यावरण से समरस होकर जीवित रहने की है। लेकिन आज कल के अस्वस्थ्य जीवन शैली से चिंता, अनिद्रा जैसे शारीरिक और मानसिक तनावों से पीडि़त रहते हैं। शारीरिक सक्रियता और उचित व्यायाम में एक असंतुलन बन गया है जिसके कारण शरीर से संबंधित अनेक प्रकार के रोग जैसे सर्वाइकल, शरीर के जोड़ों का दर्द, शरीर की अकडऩ-जकडऩ, हृदय से संबंधित रोग, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, अस्थमा, तनाव, अवसाद अनेक प्रकार के शारीरिक मानसिक रोगों का जन्म हो गया है। इतना ही नहीं विश्व के अनेक देशों में मनोचिकित्सकों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है, जिसका सीधा और स्पष्ट संकेत यह है कि मनोरोगियों की संख्या देश और विदेशों में बढ़ रही है जिसका हल योग है।