सिलगेर से सुकमा पदयात्रा का हुआ समापन
जगदलपुरPublished: Sep 26, 2022 10:21:21 pm
हजारों की संख्या में पदयात्रा में शामिल हुए ग्रामीण जिला मुख्यालय में हुआ भव्य आमसभा का आयोजन, प्रदेश सरकार व मंत्री कवासी लखमा पर जमकर बरसे आदिवासी महासभा के पदाधिकारी


आमसभा का में हजारों की संख्या में शामिल हुए ग्रामीण
सुकमा . अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के द्वारा 12 सूत्री मांगों को लेकर सिलगेर से सुकमा के लिए निकली पदयात्रा सोमवार को सुकमा जिला मुख्यालय पहुंची। जिला मुख्यालय के मिनी स्टेडियम में भव्य आमसभा का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। इस आमसभा के साथ ही इस पदयात्रा का समापन हुआ।
ज्ञात हो कि सिलगेर से यह पदयात्रा 19 सितम्बर को सुकमा के लिए निकली थी। यह पदयात्रा विभिन्न पड़ाव से होते हुए सोमवार को सुकमा जिला मुख्यालय पहुंची। पुलिस प्रशासन द्वारा पदयात्रा रैली को व्यवस्थित ढंग के मिनी स्टेडियम पहुंचाने के लिए बेरिगेटिंग की गई थी। इसी के साथ सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ी संख्या में पुलिस के अधिकारी व जवानों की तैनाती की गई थी। साथ ही इसके अलावा कलेक्टर मार्ग पर भी बेरिगेटिंग व सुरक्षा व्यवस्था का पूरा इंतजाम किया गया था। जबकि यह कार्यक्रम केवल आम सभा को संबोधित करने के साथ ही समापन किया जाना पहले से ही तय था। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री व आदिवासी नेता अरविंद नेताम, सीपी राव, शंकर राव, के शाजी, राजेश संधु, कलमेश झाड़ी, भीमसेन मंडावी, हरिनाथ सिंह, रामूराम मौर्य, बोमड़ा राम कड़ती, जय प्रकाश नेताम, साधुराम कुंजाम, रामा सोड़ी, महेश कुंजाम, मंजू कवासी, आराधना मरकमा, राजेश नाग, हड़माराम, शैलेन्द्र कश्यप, पी भीमा, देवाराम मंडावी, कलमु आयते, जीआर नेगी, हांदाराम कवासी, करटम जोगा, मूलवासी बचाओ मंच के रघु व गजेंद्र मंडावी सहित जिले भर के हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा व बस्तर संभागीय समिति के संयोजक मनीष कुंजाम ने कहा कि 100 किमी से अधिक की पदयात्रा तय कर आज जिला मुख्यालय में आम सभा का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां तक पहुंचने में उन्हें काफी कठिनाइयों व चुनौतियों का सामना करते हुए आना पड़ा, क्योंकि रास्ते में नदी नाले में बारिश के बीच पदयात्रा पूरी करने में काफी चुनौती थी। लेकिन जिस प्रकार से लोग पदयात्रा में जुड़ते गए तो यह एक में उत्साह बदल गया था। जिले भर के ग्रामीणों से इस पदयात्रा को पूर्ण समर्थन मिला है। हमारी लड़ाई को देखते हुए पड़ोसी राज्य ओडिशा के मटेर गांव के ग्रामीण भी शामिल हुए।