सूतक के समय को अशुभ समय माना जाता है
सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पहले से माना जाता है। 25 दिसंबर की रात 8 बजे से ही सूतक काल शुरू हो जाएगा, जो ग्रहण खत्म होने तक रहेगा। ग्रहण में सूतक का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में सूतक लगने पर कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते। सूतक के समय को अशुभ समय माना जाता है।
ग्रहण का प्रभाव मूल नक्षत्र और धनु राशि में ज्यादा रहेगा
सूर्य ग्रहण मूल नक्षत्र और धनु राशि में होगा। ग्रहण के समय सूर्य, बुध, गुरु, शनि, चंद्र और केतु धनु राशि में एक साथ रहेगे। केतु के स्वामित्व वाले नक्षत्र मूल में ग्रहण होगा और नवांश या मूल कुंडली में किसी प्रकार का अनिष्ट योग नहीं होने से नुकसान की संभावना नहीं है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार सूर्य ग्रहण के पहले चंद्र ग्रहण नहीं हुआ है और आगे भी चंद्र ग्रहण नहीं होने से प्रकृति को बड़े नुकसान की संभावना नहीं है।